क्या है नाटो? नाटो में 32 सदस्य देश हैं। अमरीका उन शुरुआती 12 संस्थापक सदस्यों में से है, जिन्होंने 1949 में वाशिंगटन डी.सी. में उत्तरी अटलांटिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद कई पूर्वी यूरोपीय देशों ने इसकी सदस्यता ली। हाल ही में फिनलैंड (अप्रेल 2023) और स्वीडन (मार्च 2024) इसमें शामिल हुए हैं। नाटो का मुख्य उद्देश्य यूरोप में पूर्व सोवियत संघ, जो कि रूस सहित कई साम्यवादी गणराज्यों का एक समूह था, के विस्तार को रोकना था। आधिकारिक तौर पर नाटो का उद्देश्य अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा को राजनीतिक और सैन्य साधनों के माध्यम से सुनिश्चित करना है। विवाद की स्थिति में यदि कूटनीतिक प्रयास विफल हो जाते हैं, तो नाटो के पास संकट प्रबंधन संचालन की सैन्य शक्ति होती है।
यूक्रेन नाटो का सदस्य क्यों नहीं है? रूस पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा था, जो नाटो का प्रतिद्वंद्वी था। रूस का मानना है कि यूक्रेन के नाटो में शामिल होने से नाटो सेनाएं उसकी सीमाओं के बहुत करीब आ जाएंगी। इसलिए रूस यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का विरोध करता रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा था कि कीव को नाटो में शामिल होने का विचार त्याग देना चाहिए। अमरीकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने हाल ही में कहा था कि यूक्रेन के लिए नाटो सदस्यता किसी समझौते का व्यावहारिक परिणाम नहीं हो सकती है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की कह चुके हैं कि नाटो में शामिल होने के लिए वह राष्ट्रपति पद छोड़ने के लिए तैयार हैं।
क्या अमरीका नाटो से बाहर होगा? यूक्रेन युद्ध को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पक्ष में रुख बदलने के ट्रंप प्रशासन के फैसले से नाटो के प्रति अमरीका की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता संदेह के दायरे में आ चुकी है। ट्रंप का नाटो को लेकर लंबे समय से आलोचनात्मक रुख रहा है। 2018 में (अपने पहले कार्यकाल के दौरान) ट्रंप ने कई बार निजी तौर पर कहा था कि वह नाटो से अमरीका को बाहर निकालना चाहते हैं। ऐसे में एलन मस्क की ‘एक्स’ पर की गई टिप्पणी, जिसमें उन्होंने अमरीका के ‘नाटो छोड़ने’ की संभावना जताई, ने इस मुद्दे को और भड़का दिया है।
अमरीका के ‘नाटो छोड़ने’ का मतलब? 2019 में पूर्व अमरीकी सरकारी अधिकारी मिशेल ए. फ्लोर्नोय ने कहा था कि अमरीका का नाटो छोड़ना इतिहास के सबसे शक्तिशाली और लाभकारी गठबंधन (नाटो) को नष्ट कर देगा और यह व्लादिमीर पुतिन की सबसे बड़ी जीत होगी। नाटो के पूर्व सुप्रीम एलाइड कमांडर, सेवानिवृत्त एडमिरल जेम्स जी. स्टाव्रिडिस ने भी तब तर्क दिया था कि अमरीका का गठबंधन से हटना ‘भू-राजनीतिक रूप से एक बहुत बड़ी गलती’ होगी। उधर, जेलेंस्की चेता चुके हैं कि अमरीका नाटो छोड़ता है, तो ‘रूस के यूरोप पर कब्जा करने का खतरा 100 प्रतिशत बढ़ जाएगा।’
यूक्रेन के पास क्या है रास्ता? यूके की कंजरवेटिव नेता केमी बडेनोच कहती हैं कि नाटो के भीतर अमरीकी सुरक्षा गारंटी के अभाव में अन्य देशों को रक्षा पर बहुत अधिक खर्च करना पड़ेगा। यह सुनिश्चित करना होगा कि अमरीका नाटो से अलग न हो। यदि सभी देश किसी संघर्ष में घसीटे जाते हैं, तो अमरीका भी इसमें शामिल हो जाएगा। नाटो महासचिव मार्क रूटे के मुताबिक उन्होंने जेलेंस्की से कहा है कि उन्हें अमरीकी राष्ट्रपति के साथ संबंधों को फिर से सुधारने का कोई तरीका खोजना होगा। यह आगे के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। (शुक्रवार को वाइट हाउस में दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस हो गई थी।)
प्रस्तुतिः नितिन मित्तल