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जो ‘जाति नहीं, धर्म नहीं’ प्रमाणपत्र मांगते हैं उनको जारी किया जाए : मद्रास हाईकोर्ट

याची ने कहा, जाति-धर्म की पहचान से मुक्त समाज में चाहता हूं बच्चों की परवरिश चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह राजस्व अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों को ‘जाति नहीं, धर्म नहीं’ (नो कास्ट, नो रिलीजन) प्रमाणपत्र देने के लिए सक्षम करने वाले आदेश जारी करे जो किसी विशेष जाति […]

नई दिल्लीJun 14, 2025 / 03:53 pm

Nitin Kumar

Madras HC
याची ने कहा, जाति-धर्म की पहचान से मुक्त समाज में चाहता हूं बच्चों की परवरिश

चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह राजस्व अधिकारियों को ऐसे व्यक्तियों को ‘जाति नहीं, धर्म नहीं’ (नो कास्ट, नो रिलीजन) प्रमाणपत्र देने के लिए सक्षम करने वाले आदेश जारी करे जो किसी विशेष जाति या धर्म से पहचाने जाने की इच्छा नहीं रखते हैं।
यह निर्देश तिरुपत्तूर जिले के एच. संतोष द्वारा दायर याचिका के बाद दिया गया है, जिन्होंने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसमें स्थानीय तहसीलदार को उनके परिवार को ऐसा प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया गया था।
संतोष, जिनके दो बच्चे हैं, ने अदालत के समक्ष अपने हलफनामे में घोषित किया कि उन्होंने कभी भी जाति या धर्म के आधार पर किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं उठाया है और भविष्य में ऐसा करने का इरादा नहीं रखते हैं। उन्होंने जाति और धर्म से जुड़ी पहचान से मुक्त समाज में अपने बच्चों का पालन-पोषण करने की इच्छा व्यक्त की।
जस्टिस एमएस रमेश और एन सेंथिलकुमार की खंडपीठ ने पहले के आदेश को खारिज करते हुए तिरुपत्तूर जिला कलक्टर और संबंधित तहसीलदार को याचिकाकर्ता को एक महीने के भीतर प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश दिया।
याची का निर्णय प्रशंसनीय

पीठ ने अपनी टिप्पणियों में कहा, ‘भारत का संविधान जाति-आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करता है, जबकि जाति और धर्म अभी भी आरक्षण नीतियों के माध्यम से सामाजिक जीवन, राजनीति, शिक्षा और रोजगार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’ न्यायाधीशों ने याचिकाकर्ता के जाति और धार्मिक पहचान को त्यागने के निर्णय को ‘प्रशंसनीय’ बताया।

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