वह दौड़कर उसके पास गई और चिल्लाई, मां, देखो कितना सुंदर हाथी है! लेकिन तभी उसका पसंदीदा गुब्बारा हवा में उड़ गया। रानी रोने लगी। मोती ने अपनी सूंड हिलाई और धीरे से गुब्बारे को पकड़ लिया। उसने गुब्बारा रानी की ओर बढ़ाया। उसने मोती की सूंड को छूकर कहा, ‘धन्यवाद, मोती! रमेश ने हंसते हुए कहा, मोती को बच्चे बहुत पसंद हैं। उत्सव शुरू हुआ। रानी अपनी मां के साथ नाचने लगी। रानी और मोती की दोस्ती की कहानी हर दिल में बस गई।
हर्षवर्धन, उम्र-12वर्ष
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हर्षवर्धन, उम्र-12वर्ष
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हाथी उत्सव
एक हरे-भरे जंगल के पास बसे गांव में भाई-बहन अनु और रवि हर साल होने वाले हाथी उत्सव का बेसब्री से इंतजार करते थे। यह उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता था, जहां गांव वाले अपने प्यारे हाथियों को फूलों, रंगों और गहनों से सजाते थे। इस बार अनु और रवि को उनके पसंदीदा हाथी गज्जू को सजाने का काम सौंपा गया।
एक हरे-भरे जंगल के पास बसे गांव में भाई-बहन अनु और रवि हर साल होने वाले हाथी उत्सव का बेसब्री से इंतजार करते थे। यह उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता था, जहां गांव वाले अपने प्यारे हाथियों को फूलों, रंगों और गहनों से सजाते थे। इस बार अनु और रवि को उनके पसंदीदा हाथी गज्जू को सजाने का काम सौंपा गया।
गज्जू को बच्चों के साथ खेलना बहुत पसंद था। अनु ने अपनी कला से गज्जू की सूंड पर रंग-बिरंगे फूल बनाए, जबकि रवि ने गज्जू के गले में गेंदे के फूलों की माला डाली। गज्जू ने खुशी से चिंघाड़ते हुए अपनी सूंड हिलाई और बच्चों को पास के तालाब से पानी छिड़क कर चिढ़ाया। दोनों हंसते-हंसते भीग गए। जब उत्सव शुरू हुआ, गांव का चौक ढोल की थाप और हंसी-खुशी से गूंज उठा। अनु और रवि की सजावट में गज्जू परेड की शान बना और गांव वालों ने तालियां बजाकर उनकी तारीफ की। उत्सव के अंत में, गांव के मुखिया ने गज्जू को सबसे सुंदर हाथी का खिताब दिया।
कशिश, उम्र-13वर्ष
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कशिश, उम्र-13वर्ष
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पहली बार हाथी देखा
छुट्टियों में नीहा अपनी छोटी बहन गुडिय़ा और मां के साथ नानी के गांव आई थी। गांव का माहौल शहर से बहुत अलग था। हरा-भरा, शांत और खूबसूरत। एक दिन नानी ने बताया कि गांव में जुलूस निकलने वाला है, जिसमें सजे-धजे हाथी भी आएंगे। नीहा और गुडिय़ा बहुत उत्साहित थीं। उन्होंने सुबह जल्दी तैयार होकर अपने खिलौने और पानी की बोतल साथ ली। मां उनका हाथ पकड़कर जुलूस देखने ले गईं। थोड़ी देर बाद दूर से ढोल-नगाड़ों की आवाज आने लगी और धीरे-धीरे रंग-बिरंगे कपड़ों में सजा एक बड़ा हाथी दिखाई दिया।
छुट्टियों में नीहा अपनी छोटी बहन गुडिय़ा और मां के साथ नानी के गांव आई थी। गांव का माहौल शहर से बहुत अलग था। हरा-भरा, शांत और खूबसूरत। एक दिन नानी ने बताया कि गांव में जुलूस निकलने वाला है, जिसमें सजे-धजे हाथी भी आएंगे। नीहा और गुडिय़ा बहुत उत्साहित थीं। उन्होंने सुबह जल्दी तैयार होकर अपने खिलौने और पानी की बोतल साथ ली। मां उनका हाथ पकड़कर जुलूस देखने ले गईं। थोड़ी देर बाद दूर से ढोल-नगाड़ों की आवाज आने लगी और धीरे-धीरे रंग-बिरंगे कपड़ों में सजा एक बड़ा हाथी दिखाई दिया।
गुडिय़ा की आंखें हैरानी से फैल गईं। उसने अपनी जिंदगी में पहली बार असली हाथी देखा था। हाथी के ऊपर एक रंगीन हौदा था और उसके कानों पर सुंदर फूलों की कढ़ाई थी। दो आदमी हाथी के साथ थे, एक आगे रास्ता दिखा रहा था और दूसरा हाथी को प्यार से सहला रहा था। नीहा ने मां से पूछा, क्या हम हाथी को छू सकते हैं? मां ने मुस्कुराते हुए कहा, अगर वह रुका तो जरूर। जब हाथी उनके पास आया तो गुडिय़ा डरते-डरते उसके पास गई और धीरे से उसका पांव छुआ। हाथी ने अपनी सूंड हिलाई मानो कह रहा हो, डरो मत, मैं तुम्हारा दोस्त हूं! वापस लौटते समय गुडिय़ा बार-बार कह रही थी, मुझे हाथी बहुत पसंद आया! और नीहा बोली, मुझे भी! अगली बार हम उसे केले खिलाएंगे! शिक्षा- नए अनुभव हमेशा कुछ सिखाते हैं। हमें प्रकृति और जानवरों से दोस्ती करनी चाहिए।
सिया कौशिक, उम्र-11वर्ष
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सिया कौशिक, उम्र-11वर्ष
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जानवरों से प्रेम करो
एक दिन गांव में ढोल-नगाड़ों की आवाज गूंजने लगी। छोटे-छोटे बच्चे भागते हुए मैदान की ओर दौड़े। वहां एक बहुत ही सुंदर, रंग-बिरंगा हाथी खड़ा था। उसके शरीर पर फूल, पत्तियां और रंग-बिरंगी आकृ तियां बनी थीं। उसके ऊपर एक छतरी लगी थी और साथ में उसका महावत खड़ा था। चिंटू और उसकी बहन गुडिय़ा भी वहां पहुंचे। चिंटू ने हैरानी से कहा, दीदी! ये हाथी तो जैसे कोई चित्र बन गया हो! गुडिय़ा मुस्कुराकर बोली, हां!
एक दिन गांव में ढोल-नगाड़ों की आवाज गूंजने लगी। छोटे-छोटे बच्चे भागते हुए मैदान की ओर दौड़े। वहां एक बहुत ही सुंदर, रंग-बिरंगा हाथी खड़ा था। उसके शरीर पर फूल, पत्तियां और रंग-बिरंगी आकृ तियां बनी थीं। उसके ऊपर एक छतरी लगी थी और साथ में उसका महावत खड़ा था। चिंटू और उसकी बहन गुडिय़ा भी वहां पहुंचे। चिंटू ने हैरानी से कहा, दीदी! ये हाथी तो जैसे कोई चित्र बन गया हो! गुडिय़ा मुस्कुराकर बोली, हां!
कितना शांत और सुंदर है ना! महावत ने कहा, यह हाथी मेलों में बच्चों की सवारी कराता है। क्या तुम लोग बैठना चाहोगे? चिंटू डर गया, लेकिन गुडिय़ा ने उसका हाथ पकड़कर कहा, डरना नहीं, मैं साथ हूं। दोनों भाई-बहन हाथी पर चढ़े। उन्हें बहुत मजा आया। नीचे उतरकर चिंटू ने हाथी को प्यार से सहलाया और बोला, अब तू मेरा दोस्त है! शिक्षा- इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि डर को प्यार से जीत सकते हैं। जानवरों से दया और मित्रता का व्यवहार करना चाहिए। नए अनुभवों से कभी घबराना नहीं चाहिए।
जिया पारीक, उम्र-7वर्ष
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जिया पारीक, उम्र-7वर्ष
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डर बन गया ताकत
गर्मी की छुट्टियों में राधा और परी अपने ननिहाल गांव में आईं। मेले की हलचल से गांव जीवंत था। मिठाइयों की खुशबू, खिलौनों की दुकानें और सबसे आकर्षक- एक विशाल फूलों से सजा हाथी। परी की नजर हाथी पर टिकी थी, हाथ में गेंद लिए बोली, दीदी, क्या हम इस पर बैठ सकते हैं? राधा मुस्कुराई, चलो पूछते हैं। महावत ने सिर हिलाया, ये हाथी नई जगहों पर थोड़ा घबराता है, बच्चों को पास नहीं आने देता। परी मायूस हो गई। तभी उसकी गेंद हाथ से छूटकर हाथी के पास चली गई। आसपास के लोग डर गए, हाथी नाराज हो जाएगा! राधा ठिठकी नहीं।
गर्मी की छुट्टियों में राधा और परी अपने ननिहाल गांव में आईं। मेले की हलचल से गांव जीवंत था। मिठाइयों की खुशबू, खिलौनों की दुकानें और सबसे आकर्षक- एक विशाल फूलों से सजा हाथी। परी की नजर हाथी पर टिकी थी, हाथ में गेंद लिए बोली, दीदी, क्या हम इस पर बैठ सकते हैं? राधा मुस्कुराई, चलो पूछते हैं। महावत ने सिर हिलाया, ये हाथी नई जगहों पर थोड़ा घबराता है, बच्चों को पास नहीं आने देता। परी मायूस हो गई। तभी उसकी गेंद हाथ से छूटकर हाथी के पास चली गई। आसपास के लोग डर गए, हाथी नाराज हो जाएगा! राधा ठिठकी नहीं।
उसने परी से कहा, कभी-कभी डर को समझदारी से जीतना पड़ता है। वह धीरे से हाथी के पास गई, नजरें झुकाए और बिना घबराए बोली, हमें तुम्हारी इजाजत चाहिए। हाथी ने गेंद सूंड से उठाई, परी की ओर बढ़ाई और शांत खड़ा रहा। महावत हैरान! शायद इसे सिर्फ भरोसे की जरूरत थी। फिर दोनों बहनें हाथी की पीठ पर बैठीं- डर को पीछे छोड़ते हुए। ऊंचाई से परी ने पूछा, दीदी, क्या हम सच में बहादुर हैं? राधा बोली, हां, जब तुम दिल से समझो, डर से नहीं- तो यही सच्ची बहादुरी है। सीख- डर से भागना आसान है, लेकिन जब समझ, धैर्य और भरोसे से उसका सामना करो तो वही डर तुम्हारी सबसे बड़ी ताकत बन जाता है।
शिप्रा गुप्ता, उम्र-13वर्ष
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शिप्रा गुप्ता, उम्र-13वर्ष
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सच्चा पुरस्कार
एक गांव में एक उत्सव का आयोजन होने वाला था। गांव के बच्चे खासकर लीला और राजू बहुत उत्साहित थे। इस साल का मुख्य आकर्षण था एक सुंदर, सजा हुआ हाथी, गजेन्द्र । गजेन्द्र की पीठ पर एक शानदार हौदा था। लीला और राजू हर दिन गजेन्द्र को देखने जाते और उससे प्यार करते। गांव के मुखिया ने घोषणा की कि एक प्रतियोगिता होगी और विजेता को गजेन्द्र के हौदे में बैठने का मौका मिलेगा।
एक गांव में एक उत्सव का आयोजन होने वाला था। गांव के बच्चे खासकर लीला और राजू बहुत उत्साहित थे। इस साल का मुख्य आकर्षण था एक सुंदर, सजा हुआ हाथी, गजेन्द्र । गजेन्द्र की पीठ पर एक शानदार हौदा था। लीला और राजू हर दिन गजेन्द्र को देखने जाते और उससे प्यार करते। गांव के मुखिया ने घोषणा की कि एक प्रतियोगिता होगी और विजेता को गजेन्द्र के हौदे में बैठने का मौका मिलेगा।
इस प्रतियोगिता के दिन लीला और राजू ने गांव की सफाई में मदद की और सभी से प्यार से बात की। जब मुखिया ने विजेता की घोषणा की तो सभी हैरान थे। विजेता लीला और राजू दोनों थे। मुखिया ने कहा, तुम दोनों ने सच्चा प्यार और सेवा दिखाई है। लीला और राजू की खुशी का ठिकाना न रहा। वे गजेन्द्र के हौदे में बैठे और पूरे गांव का भ्रमण किया। गांव के लोग तालियां बजाकर उनका स्वागत करते रहे। उस दिन गांव ने सीखा कि सच्चा पुरस्कार अच्छे कर्मों और सहयोग में है।
पार्थ गौड़, उम्र-11वर्ष
पार्थ गौड़, उम्र-11वर्ष