वन विभाग ने विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के सहयोग से सरिस्का टाइगर रिजर्व में सर्वे किया है। पांच दिन चल सर्वे के परिणाम सुखद आए हैं। शिकारी चिड़िया की कई प्रजातियां अलग-अलग रेंज में पाई गई हैं। दुर्लभ गिद्ध भी मिले हैं। इनके बचाव को लेकर रणनीति बनाई जाएगी।
वन विभाग ने 26 फरवरी से यह सर्वे किया शुरू किया था। रैप्टर सर्वेक्षण (शिकारी चिड़िया) सरिस्का, टहला, अकबरपुर, तालवृक्ष और बफर जोन सहित रिजर्व की विभिन्न रेंज में पाई गई। रैप्टर की विविधता और आवास का आकलन भी किया गया। सर्वे के दौरान विशेष रूप से रेड हैडेड वल्चर, इंडियन वल्चर, इजिप्टीयन वल्चर आदि पाए गए जो कि विश्व स्तर पर खतरे में हैं।
प्रमुख ईगल प्रजातियों में शॉर्ट टोड सेक ईगल शामिल है। देखे गए अन्य रैप्टर्स में रॉक ईगल आउल, इंडियन स्कोप्स आउल, यूरेशियन केस्ट्रेल, व्हाइट आइड बज़र्ड, यूरेशियन स्पैरोहोंक और वेस्टर्न मार्श हैरियर शामिल थे। सरिस्का के डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि सर्वे का मकसद विविध रैप्टर प्रजातियों का पता लगाना था। सरिस्का इन पक्षियों के आवास के रूप में महत्वपूर्ण है।
सरिस्का में गिद्ध पाए गए हैं, यह अच्छा संकेत है। इसके अलावा कई अन्य शिकारी चिड़िया भी अलग-अलग जोन में मिली हैं। सरिस्का का जंगल इन सभी के लिए मुफीद साबित हो रहा है। गिद्धों के संरक्षण पर काम किया जाएगा। –
संग्राम सिंह कटियार, क्षेत्र निदेशक, सरिस्का टाइगर रिजर्व।यह भी पढ़ें:
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