स्वास्थ्य शिक्षा सचिव द्वारा जारी इस अलोकतांत्रिक फरमान का मीडिया ने विरोध करने के साथ ही प्रदर्शन भी किया। विवाद बढ़ता देखकर स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को आधी रात को वीडियो जारी कर अजीब सा स्पष्टीकरण दिया कि ‘समाज के विकास में मीडिया का बड़ा योगदान है। मीडिया का सम्मान हमारे नजरों में सदैव से रहा है। फिलहाल मीडिया प्रबंधन के लिए जारी दिशा-निर्देशों पर रोक लगा दी गई है। समस्त मीडिया संगठन से आवश्यक चर्चा कर बाद में ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा।’ इसका मतलब यह हुआ कि उनकी नजर में भी फरमान गलत नहीं है और इसे थोड़ा-सा पॉलिश करके फिर से लागू किया जाएगा। यह स्पष्टीकरण भी तब आया जब देर शाम भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री ने मंत्रियों-विधायकों की बैठक में नसीहत दी कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाए जिससे सरकार की छवि खराब हो। अब सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य विभाग को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण के बाद भी सरकार की छवि कैसे संवरेगी? क्योंकि मीडिया कवरेज पर बैन नए तरीके से किया जाना प्रस्तावित है। सरकार को चाहिए कि ऐसी सोच वालों पर नियंत्रण रखे। क्योंकि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गईं सुविधाओं का सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं, और किस सुविधा की जरूरत है, मीडिया ही इसे सामने लाता है।
– अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com