जाति आधारित राजनीति की वजह
अगर कोई नेता जाति या धर्म के नाम पर राजनीति करता है, तो इसका मतलब है कि उसने अपने क्षेत्र में ऐसा कोई जनकल्याणकारी कार्य नहीं किया, जिस पर जनता दोबारा विश्वास कर सके। ऐसे नेता भावनात्मक मुद्दों को हथियार बनाकर वोट मांगते हैं। अगर जनता जात-पात की राजनीति को नकार दे और ईमानदार नेताओं को चुने, तो यह प्रवृत्ति समाप्त हो सकती है।
नेता ही जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देते
हमारे देश के नेता ही जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देते हैं। चुनाव में उम्मीदवारों की टिकट जातीय जनसंख्या के आधार पर तय होती है। हालांकि जनता धीरे-धीरे इस मानसिकता से बाहर आ रही है, लेकिन राजनीतिक दलों को भी इस सोच से उबरने की जरूरत है।
शिक्षा और जागरूकता जरूरी है
जातिवादी राजनीति को रोकने के लिए शिक्षा और जागरूकता का प्रसार आवश्यक है। विकास-आधारित राजनीति को प्रोत्साहित करना, सख्त कानून बनाना, और मीडिया व सामाजिक संगठनों की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करना चाहिए। इन प्रयासों से समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा मिलेगा।
जाति प्रथा से ऊपर उठने की जरूरत
राजनीतिक दलों ने अपने स्वार्थ के लिए जनता को जाति प्रथा में बांट दिया है। यह समय है कि जनता जात-पात से ऊपर उठकर देशहित में काम करे।
समाज पर नकारात्मक प्रभाव
जाति आधारित राजनीति समाज और राष्ट्र के विकास में बाधक है। यह वोट-बैंक की राजनीति, वंशवाद और तुष्टिकरण को बढ़ावा देती है। समाज को संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।
आरक्षण का पुनर्मूल्यांकन जरूरी
75 साल पहले शुरू हुआ जाति आधारित आरक्षण अब राजनीतिक दलों का सत्ता हथियाने का हथियार बन गया है। इसे आर्थिक आधार पर पुनर्मूल्यांकित करने की जरूरत है, ताकि अगली पीढ़ियों पर इसका गलत प्रभाव न पड़े।
- मनवीर चंद कटोच, हिमाचल प्रदेश
जातीय संघर्षों की राजनीति
जाति आधारित राजनीति से साम्प्रदायिक तनाव और अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है। इससे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे भी प्रभावित होते हैं।
वोट-बैंक की राजनीति का असर
वोट-बैंक की राजनीति के कारण समाज में जातीय विभाजन बढ़ता है। सभी वर्गों के हित में काम करने वाले नेताओं को प्राथमिकता देकर सामाजिक सौहार्द बनाए रखा जा सकता है।
मतदाता की जागरूकता बढ़ी
जाति आधारित राजनीति का असर शिक्षित और जागरूक मतदाताओं के कारण कम हो रहा है। आज का मतदाता विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देता है।
स्वार्थी नेताओं को पहचानें
जाति के नाम पर राजनीति करने वाले नेता केवल अपने स्वार्थ के लिए काम करते हैं। जनता को ऐसे नेताओं की पहचान कर उनसे बचना चाहिए।