क्या है डब्ल्यूआरसीपी
गुजरात व राजस्थान के बीच माही जल बंटवारे को लेकर 1966 में समझौता हुआ था। माही के सरप्लस पानी को राजस्थान में लाना था। इसके लिए गुजरात की सहमति जरूरी है। इस पानी को 350 किमी लंबी केनाल के जरिए जालोर तक लाया जाएगा, लेकिन इस पानी को सिर्फ जालोर-बाड़मेर नहीं बल्कि जोधपुर संभाग के अन्य जिलों तक लाने पर भी मंथन चल रहा है। इसी केनाल को डब्ल्यूआरसीपी कहा जा रहा है। इसके प्री-फिजिबिलिटी का बजट 26 लाख रुपए रखा गया है।पिछले सत्र में उठा मामला
विधानसभा के पिछले सत्र में यह मामला उठ चुका है। प्रश्न के जवाब में सरकार ने माना कि प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट आ चुकी है। इसके बाद विधायक भैराराम सियोल ने इसके लिए पत्र भी लिखा, लेकिन अंतिम रिपोर्ट का अब तक इंतजार है। इस अंतिम रिपोर्ट में यदि संभावनाएं बताई तो डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसमें भी छह माह से लेकर एक साल का समय लग सकता है। इसके बाद गुजरात सरकार के साथ मिलकर इसको धरातल पर उतारा जा सकता है।कुछ इस प्रकार होगा फायदा
- * भूजल स्तर गिर रहा है, जिसे संभाला जा सकेगा।
- * कृषि का जो रकबा घट रहा है, उसमें मदद मिलेगी।
- * रोजगार के लिए पलायन रुकेगा।
- * कृषि आधारित उद्योग भी पनप सकते हैं।
- * पेयजल योजना भी बनेगी।
- * उद्योगों को भी पानी मिल सकेगा।
पहले भी हमने उठाई थी मांग
डब्ल्यूआरसीपी को सबसे पहले सदन में उठाने का काम हमने किया था। इसके बाद लगातार फॉलोअप कर रहे हैं। सीएम ने विधायकों के साथ बैठक में इसके लिए सकारात्मक संदेश दिया है। यह प्रोजेक्ट पश्चिमी राजस्थान के लिए वरदान साबित होगा।भैराराम सियोल, विधायक, ओसियां
सीएम सकारात्मक
मैंने जब सवाल लगाया तो सरकार ने पिछले सत्र में भी इसके संकेत दिए थे। अब भी सीएम इसको सकारात्मक रूप से पूरा करने में रुचि दिखा रहे हैं। यह जोधपुर सहित पूरे पश्चिमी राजस्थान के लिए महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट होगा।बाबूसिंह राठौड़, विधायक, शेरगढ़
अभी अंतिम रिपोर्ट का इंतजार
वेपकोस ने इसके लिए प्री-फिजिबिलिटी की अंतरिम रिपोर्ट दी थी, इसके बाद विभाग ने इसमें कुछ सुझाव दिए थे। अब अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद डीपीआर की प्रक्रिया हो सकती है।भुवन भास्कर, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग