क्या है मामला?
चुनाव आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक, इस बार वोटर वेरिफिकेशन दो चरणों में हो रहा है। पहले चरण में सिर्फ फॉर्म भरवाए जा रहे हैं ताकि ड्राफ्ट मतदाता सूची को तय समय पर छापा जा सके। दूसरे चरण में बीएलओ (BLO) घर-घर जाकर मतदाता पहचान के लिए 11 वैध दस्तावेजों में से कोई 1 दस्तावेज मांगेंगे और उसकी रसीद देंगे। बिहार में अब तक 88.18% यानी करीब 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। मतदाताओं को 25 जुलाई तक अपने फॉर्म भरने का समय दिया गया है, जिसके बाद ड्राफ्ट लिस्ट जारी होगी।किस आधार पर हटाए जा रहे हैं नाम?
चुनाव आयोग के मुताबिक, यह कदम खामियों को दूर करने और डुप्लिकेट, मृत व बाहर ट्रांसफर हो चुके वोटरों के नाम हटाने के लिए उठाया गया है। आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़े कुछ चौंकाने वाले हैं:विदेशी नागरिकों का नाम भी लिस्ट में
आयोग के मुताबिक सत्यापन जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, बीएलओ की फील्ड रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में यह पाया गया कि कुछ विदेशी नागरिक, खासकर नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के मूल निवासी भी बिहार के वोटर लिस्ट में शामिल हो गए हैं। इन लोगों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज भी हैं, जो संभवतः अवैध तरीकों से बनाए गए हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि ऐसे मामलों की गहन जांच के बाद ही नामों को हटाया जाएगा।कौन से दस्तावेज मान्य हैं?
वर्ष 2003 से पहले वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं को केवल अपना एपिक नंबर और नवीनतम फोटो देना है।वहीं 2003 के बाद जोड़े गए मतदाताओं को अपने माता-पिता का एपिक नंबर (2003 की लिस्ट से) और कोई एक दस्तावेज जैसे मैट्रिक सर्टिफिकेट, राशन कार्ड, पासपोर्ट या आवास प्रमाण पत्र देना होगा। इसमें माता-पिता के साथ उनका नाम दर्ज हो।शादीशुदा महिलाओं के लिए, ससुराल की बजाय मायके से जुड़े दस्तावेज देना अनिवार्य किया गया है।