5 मार्च को हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने विवादित ढांचा घोषित करने को लेकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद के पास जमीन के कागज नहीं हैं, इन्होंने अतिक्रमण कर रखा है। इसे मस्जिद क्यों कहा जाए? इसलिए मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए।
इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दाखिल की थी। कहा था- हिंदू पक्ष की मांग सरासर गलत है। इस मामले में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच में अब तक चार बार सुनवाई हो चुकी है। इस याचिका के अलावा, हिंदू पक्ष की 18 अन्य याचिकाओं पर भी हाईकोर्ट में सुनवाई अलग से चल रही है।
आपको बता दें कि जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की सिंगल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। फिलहाल, उनकी तरफ से सुनवाई की अगली तारीख दी गई है। अब 2 अगस्त, 2025 को अगली सुनवाई होगी।
हिंदू पक्ष की दलीलें
- 5 मार्च को हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत में मथुरा की शाही मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी। उनकी दलीलों में शामिल था।
- मस्जिद के पास जमीन के कोई वैध कागज नहीं हैं और यह अतिक्रमण करके बनाई गई है।
- जमीन से जुड़ी खसरा-खतौनी में मस्जिद का नाम दर्ज नहीं है, न ही नगर निगम में इसका कोई रिकॉर्ड है और न ही इस पर कोई टैक्स दिया जा रहा है।
- यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ दर्ज हो चुकी है।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह की जगह पहले मंदिर था और मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न मौजूद हैं।
मुस्लिम पक्ष ने कहा था- 400 सालों से यह शाही ईदगाह
मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति में कहा था- हिंदू पक्ष की मांग सरासर गलत है। 400 सालों से यह शाही ईदगाह है, इसलिए इसे विवादित ढांचा घोषित करने की मांग कठोर दंड के साथ खारिज किया जाना चाहिए।
जानिए पूरा विवाद
गौरतलब है कि पूरा विवाद मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ जमीन पर है, जिसमें मंदिर और मस्जिद दोनों बनी हैं। जानकारी के मुताबिक, कुल जमीन में 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि है, जबकि बाकीजमीन पर ईदगाह होने का दावा है। हिंदू पक्ष पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बताता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इससे इनकार करता है। हिंदू पक्ष के अनुसार, 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है। आज यानी 4 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हम इसे विवादित ढांचा नहीं घोषित कर सकते हैं।