नागा सन्यासी बने आकर्षण का केंद्र
श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की इस भव्य छावनी प्रवेश यात्रा में रथों में सवार महा मंडलेश्वर के अलावा घोड़ों और ऊंटों पर सवार नागा संन्यासी श्रृद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बने। प्रवेश यात्रा में सबसे आगे अखाड़े के देवता भगवान गजानन जी का रथ था। इसके बाद अखाड़े के पंच परमेश्वर रमता पंच थे। रमता पंच के बाद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर का रथ चल रहा था। प्रवेश यात्रा में संतों की तरफ से ‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’ के उद्घोष भी किए जा रहे थे।
अखाड़े के आचार्य ने क्या कहा ?
छावनी प्रवेश यात्रा की शुरुआत अखाड़े के मड़ौका स्थित आवाहन अखाड़े के स्थानीय आश्रम से हुई। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी जी का कहना है श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा सबसे प्राचीन है, जो अब तक प्रयागराज में 122 महाकुंभ और 123 कुंभ कर चुका है। अखाड़े ने अपने विशिष्ट संकल्प के साथ महाकुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया है।
‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’
अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अरुण गिरी जी का कहना है कि उनके अखाड़े का मूल उद्देश्य सनातन का प्रचार-प्रसार और धर्म की रक्षा करना है। लेकिन, वर्तमान समय में सृष्टि के सामने सबसे बड़ा संकट पर्यावरण की रक्षा का है। इसके लिए वह ‘वृक्ष लगाओ, सृष्टि बचाओ’ महाअभियान के अंतर्गत श्रद्धालुओं और सनातनियों से वृक्ष लगाने का संकल्प ले रहे हैं। अखाड़े के महंत ने क्या कहा ?
विभिन्न मार्गों से होते हुए अखाड़े ने त्रिवेणी पांटून पुल से अपनी छावनी में प्रवेश किया। अखाड़े के श्री महंत गोपाल गिरी बताते हैं कि अखाड़े की इस छावनी प्रवेश यात्रा में एक दर्जन से अधिक महामंडलेश्वर और 51 श्री महंतों के अलावा बड़ी संख्या ने नागा संन्यासी शामिल हुए।
Mahakumbh प्रशासन की तरफ से पुष्प वर्षा
श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा ने 11 किमी का सफर तय कर सेक्टर-20 में स्थित छावनी में प्रवेश किया। अखाड़े की भव्य और दिव्य यात्रा का जगह-जगह स्थानीय लोगों और महाकुंभ प्रशासन की तरफ से पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। सोर्स: IANS