धर्मेंद्र सरोज ने बताया कि घटना उस शाम की है जब वे और उनके गांववाले कटरा दयारामपुर में होलिका दहन की तैयारी कर रहे थे, जो पिछले दस सालों से उसी स्थान पर हो रहा था। लेकिन इस बार कुछ लोग, जिनमें नूर आलम, याकूब शरीफ और अन्य शामिल थे, विवाद उत्पन्न करने पहुंचे और होलिका दहन का विरोध किया। धर्मेंद्र और उनके साथी सतीश चंद्र ने जब विरोध किया तो उन पर हमला किया गया और उन्हें जातिसूचक शब्दों से गालियाँ दी गईं। आरोप है कि उनका सामान और पैसे भी छीन लिए गए।
पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन विवाद के बाद दारोगा आनंद वर्मा ने धर्मेंद्र कुमार सरोज को गिरफ्तार कर थाने ले गए। धर्मेंद्र ने अपनी पहचान बताई, लेकिन पुलिस ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया और थाने में उनके साथ मारपीट की। जब धर्मेंद्र ने इस बारे में एसीपी फूलपुर से बात करने की कोशिश की, तो दारोगा ने उनका फोन छीन लिया और उन्हें धमकी दी कि वे उनके खिलाफ दंगा फैलाने की धाराओं में केस दर्ज करेंगे।
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद भाजपा के कई कार्यकर्ता थाने पहुंचे और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। नारेबाजी और हंगामे के बीच पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को शांत कराया। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी और एसीपी ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। बाद में, दोषी पाए गए दारोगा आनंद वर्मा, आरक्षी समीर, जामवंत सिंह और सुधीर कुमार को लाइन हाजिर कर दिया गया।