साथ ही इसमें मदद करने वालों का भी पता लगाने आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लिया गया है। मामले का खुलासा करते हुए एसएसपी डॉक्टर लाल उमेद सिंह ने बताया कि टिकरापारा धरमनगर में बांग्लादेशी नागरिक के रहने की सूचना मिली थी। इसके बाद क्राइम ब्रांच और टिकरापारा पुलिस ने संदेही पर नजर रखना शुरू किया। इसके बाद मोहम्मद दिलावर के घर छापा मारा। उनके निवास और पहचान संबंधी दस्तावेजों की जांच की गई। इसमें कई विसंगति थी।
किराए का मकान लेकर कभी अंडे का ठेला, तो कभी बिरयानी बेचता रहा
कड़ाई से पूछताछ करने और मोबाइल की तकनीकी जांच करने पर खुलासा हुआ कि 49 वर्षीय मोहम्मद दिलावर मूलत: बांग्लादेश के जिला मुंशीगंज के मुख्तारपुर गांव का रहने वाला है। यहां खुद को भारतीय बताकर अपनी पत्नी परवीन बेगम और नाबालिग बेटी के साथ रहा था। करीब 16 साल पहले दिलावर एक दलाल के जरिए बांग्लादेश के बनगांव बार्डर पार करके पश्चिम बंगाल पहुंचा। वहां से मुंबई और नागपुर में कुछ दिन रहा। इसके बाद रायपुर पहुंचा। रायपुर के टिकरापारा इलाके में करीब साल भर किराए का मकान लेकर कभी अंडे का ठेला, तो कभी बिरयानी बेचता रहा। फिर अपनी पत्नी और बेटी को भी रायपुर ले आया। इसके बाद किराए के मकान में रह रहे थे। स्थानीय पार्षदों की मदद से आधार कार्ड, पासपोर्ट भी बनवा लिया था। आरोपी से पासपोर्ट, आधार कार्ड, मोबाइल आदि जब्त किया गया है।
ऐसे हुआ खुलासा
जांच के दौरान
क्राइम ब्रांच ने दिलावर का पासपोर्ट चेक किया। इसमें उसकी जन्मतिथि 15 अप्रैल 1975 दर्ज थी। उससे पासपोर्ट बनवाने के लिए लगाई गई अंकसूची दिखाने कहा गया। उसने वर्ष 2009-10 की आठवीं की अंकसूची दिखाई। यह स्कूल भी मध्यप्रदेश के रीवा का है। अंकसूची के अनुसार उसने 35 की उम्र में आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की थी। इससे पुलिस को शक हुआ।
मार्कशीट फर्जी थी। फर्जी अंकसूची के आधार पर ही पासपोर्ट बनवा लिया था। इसका खुलासा होने के बाद पूरी सच्चाई सामने आ गई। पुलिस ने दिलावर और उसकी पत्नी के खिलाफ धारा 112, 318 (4), 319 (2), 336(3), 3(5) बीएनएस तथा भारतीय पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12 (बी), पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम 1920 की धारा 3, विदेशियों विषयक अधिनियम 1946 की धारा 14 के तहत अपराध दर्ज किया है। पति-पत्नी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है।