वहीं अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया गया है। ताकि बारिश के दौरान नदी-नालों में उफान आने के बाद भी प्रभावी तरीके से अभियान चलाया जा सकें। बताया जाता है कि फोर्स के दबाव में लगातार सरेंडर करने और मुठभेड में मारे जाने के बाद से अधिकांश नक्सली अंडरग्राउंड हो गए हैं। वहीं कुछ छोटे कैडर के लोग कई टुकड़ों में बंटकर जान बचाकर सुरक्षित ठिकानों की ओर मूवमेंट कर रहे हैं।
सफलता से जवानों के हौसले बुलंद
बता दें कि
छत्तीसगढ़ में मानसून के दस्तक देते ही बस्तर में नक्सलियों का मूवमेंट शुरू हो जाता है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि इस साल भी कारगर रणनीति बनाते हुए बस्तर में तैनात सुरक्षाबलों द्वारा 3 महीनों तक ऑपरेशन मानसून चलाया जाएगा। लगातार मिल रही सफलता को देखते हुए जवानों के हौसले बुलंद है। इंटेलिजेंस की सूचनाओं पर ऑपरेशन चलाने की योजना बनाई गई है।
448 नक्सली मारे गए
राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों द्वारा पिछले 16 महीनों में 200 से अधिक स्थानों में नक्सलियों से मुठभेड़ हुई। इस दौरान 448 नक्सली मारे गए। ऑपरेशन से जुडे़ अधिकारियों का कहना है कि ऑपरेशन मानसून के तहत जवानों को नक्सलियों को बैकफुट पर लाने और उनके ठिकानों में दबिश देने में सफलता मिलेगी।
सुरक्षा को प्राथमिकता
मानसूनी सीजन के दौरान जवानों को भी खास सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है, क्योंकि बारिश में नदी नाले उफान पर होते हैं। ऐसे में जवानों को किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेने और सुरक्षित रूप से अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा नक्सलियों के मूवमेंट पर भी नजर रखने का आदेश दिया गया है।