CG News: हॉस्पिटल में जांच की फैसिलिटी नहीं
इस मशीन को विश्वविद्यालय के कैमेस्ट्री और
इलेक्ट्रॉनिक्स अध्ययनशाला के कॉलबोरेशन में तैयार किया गया है। जिसे प्रोफेसर डॉ कमलेश कुमार श्रीवास और अरुण कुमार पटेल ने डिजाइन किया है। इनके इस इनोवेटिव रिसर्च का पेटेंट भी पब्लिश हो गया है। उन्होंने बताया कि स्मार्ट नैनो कलरीमेट्री का उपयोग आसान हैं। देखने को मिलता है कि दूर दराज क्षेत्रों के गांवों के हॉस्पिटल में जांच की फैसिलिटी नहीं है। साथ ही स्कूल-कॉलेज के लैब में स्टूडेंट्स के टेस्टिंग के लिए भी अच्छी मशीन नहीं होती।
खाद्य पदार्थ पानी, खून की जांच के लिए आने वाली मशीन की लागत लाखों में होती है। इसलिए हमने ऐसा स्मार्ट मशीन तैयार किया है जिससे आसानी से इन सब की जांच की जा सकती है। डीएसटी पर्स के तहत मिले 12 करोड़ फंड की मदद से ही इसे तैयार किया गया है। इसे बनाने में कैमेस्ट्री के डॉ मानस कांति देब और इलेक्ट्रॉनिक्स अध्ययनशाला के प्रोफेसर डॉ कविता ठाकुर का सहयोग रहा।
लिक्विड की मदद से की जाती है जांच
डॉ कमलेश कुमार श्रीवास ने बताया कि मशीन की मदद से किसी भी पदार्थ की जांच की जा सकती है। इसके लिए उसे लिक्विड मटेरियल में कन्वर्ट करना होता है। उसके बाद इसे टेस्ट किया जा सकता है। फलों में भी यही लागू होती है। फलों की जांच के लिए पहले से लिक्विड में कन्वर्ट करते है और उसकी जांच की जा सकती है। मशीन में लिक्विड रखने के कुछ ही समय में इसे रिजल्ट इसमें लगे स्क्रीन पर दिखई देता है। इसे कम्प्यूटर सिस्टम पर भी जोड़ा जा सकता है। बताता है किसमें कौन सी प्रोटीन
CG News: किसी भी पदार्थ को लिक्विड में कन्वर्ट कर मशीन में डाला जाता है। इसके बाद उस
पदार्थ में जो भी प्रोटीन होगा, इसकी जानकारी स्क्रीन में दिखाई देती है। इसमें, प्रोटीन के प्रकार और मात्रा की जानकारी मिलती है। मीशन आयरन, ग्लूकोज, क्रिएटिनिन, जिंक, बिलीरुबिन, एल्बुमिन जैसे तत्व का स्तर भी बताता है।