Holi 2025: सैकड़ों गांव के लोग पहुंचते हैं..
इसमें शामिल होने आसपास के सैकड़ों गांव के लोग पहुंचते हैं। यहां सिर्फ गुलाल की होली ही खेली जाती है। साल में एक बार ऐसा नजारा देखने को मिलता है इसलिए कोई भी इस अवसर को छोडऩा नहीं चाहता। जब तक संत पवन दीवान थे, वे हर साल दोपहर को ही मंदिर पहुंच जाते थे। जब वे फाग गाते तो होलियाना माहौल में चार चांद लग जाया करते थे। भगवान की आज की दिनचर्या
ठाकुर ने बताया, होलिका से पहले नौ घंटे पहले अशुभ पल लगते ही मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है। इसके बाद भगवान आराम करते हैं। सुबह 4 बजे रोज की तरह उनका अभिषेक होगा। होली पर विशेष पोशाक पहनाई जाएगी। मंदिर में राजीवलोचन की दो मूर्तियां हैं। एक बड़ी मूर्ति और उनके बाजू में एक छोटी मूर्ति बाल रूप में है। शाम 5 से 6 के बीच बाल रूप को लेकर मंदिर से बाहर निकलते हैं। जैसे ही भगवान बाहर आते हैं उनका स्वागत गुलाल से किया जाता है। उस वक्त आसमान की रंगत देखते ही बनती है क्योंकि सर्वत्र गुलाल ही गुलाल दिखाई देता है। श्रद्धालुओं का आगमन ढाई से तीन बजे तक हो जाता है, भगवान के बाहर निकलने तक तक लोग फाग गीत गाते नजर आते हैं।
राजनेता भी आते हैं आशीर्वाद लेने
यहां की होली की एक खासियत ये भी है कि क्षेत्र के विधायक हो या सांसद, सभी कार्यक्रम में शिरकत करते हैं। भगवान से होली खेलने और आशीर्वाद लेने के बाद वे स्थानीय रहवासियों से मेल-मुलाकात करते हैं।
शाम का दृश्य अद्वितीय
स्थानीय निवासी जितेंद्र वर्मा, कांति, लखेराम, संतोष ने बताया, होली का हमें विशेष इंतजार रहता है। भगवान राजीव लोचन संग होली खेलना और उनका आशीर्वाद लेना यह हर साल का हमारा नियम बन गया है। मंदिर परिसर में शाम का दृश्य अद्वितीय रहता है, जब भूमि से लेकर आकाश तक सिर्फ गुलाल ही गुलाल दिखाई देता है।