लॉजिस्टिक हब के लिए पहली बार प्रावधान करने से ई-कॉमर्स और प्राइवेट लॉजिस्टिक कंपनियां, बिल्डर्स और बड़े किसान निवेश के लिए आकर्षित होने और रोजगार बढ़ने की उम्मीद है।
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अब निजी निवेशक न्यूनतम 5 एकड़ भूमि पर विकसित
लॉजिस्टिक हब के लिए अधोसंरचना लागत (भूमि छोड़ सड़क, रेल, वायु से संबंधित) का 40 फीसदी तक अनुदान ले सकते हैं। इसके अलावा स्टांप शुल्क से छूट, भूमि के पंजीयन शुल्क में 50 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति एवं भू-पुनर्निर्धारण कर में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
बस्तर एवं सरगुजा संभाग में लॉजिस्टिक पार्क-हब की स्थापना पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा। लेकिन इस योजना और प्रबंधन में सावधानी के साथ मॉनिटरिंग जरूरी होगी, क्योंकि निवेशक कौड़ियों के भाव जमीन और सुविधाएं तो लेते हैं, लेकिन निर्माण और काम शुरू करने में वर्षों लगा देते हैं।
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बिलासपुर सहित रायपुर, दुर्ग-भिलाई में कई नामी उद्योगपतियों ने उद्योग लगाने के नाम पर हजारों एकड़ जमीन ले तो ली, लेकिन 10 से 15 साल बाद भी वहां एक ईंट तक नहीं लगाई।
बिलासपुर के तिफरा डी सेक्टर में करीब 100 छोटे उद्योगों को लगाने के लिए 7 साल पहले 82 एकड़ जमीन ऐसे विवादों में उलझी कि आज तक इसका आवंटन नहीं हो सका है।
योजना पर 8 करोड़ खर्च भी हो गए। इस बीच नए युवा उद्यमियों के 500 से अधिक आवेदन आ चुके हैं, जिन्हें करीब 100 एकड़ जमीन की जरूरत है, लेकिन वे भटक रहे हैं। हैरत की बात यह है कि
रायपुर और दुर्ग में 2-2 होलसेल कॉरिडोर का काम शुरू है, लेकिन बिलासपुर में इसे लेकर कुछ नहीं हुआ।
इसलिए जिम्मेदारों को इससे सबक लेते हुए लॉजिस्टिक हब, लॉजिस्टिक पार्क बनाने वाली जगह को मॉनिटरिंग कर निवेशकों पर फोकस कर समय पर निर्माण पूरा करवाना होगा, ताकि भंडारण क्षमता के साथ लघु और सूक्ष्म उद्योगों व युवाओं को भी रोजगार मिले और विकास की रफ़्तार तेज हो सके।