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रायपुर सेंट्रल जेल में पहली बार यह अनूठा प्रयोग किया जा रहा है। जेल अधीक्षक जेल अधीक्षक अमित शांडिल्य ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कैदियों के भीतर सकारात्मक बदलाव लाना है। प्रेरणादायक और देशभक्ति से जुड़ी कहानियों को देखने से उनमें नई उर्जा और सामाजिक जीवन को पुनः सकारात्मक रूप से अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।
हर शनिवार को दिखाई जाएगी फिल्म जेल के भीतर बनाए गए हॉल में प्रत्येक शनिवार को फिल्म दिखाई जाएगी। इसके लिए प्रोजेक्टर, साउंड सिस्टम और पर्दे को इंस्टाल करने का काम चल रहा है। कैदियों को दिखाई जाने वाली फिल्म का चयन जेल प्रशासन की अनुमति पर किया जाएगा। इसमें विशेष रूप से ऐसी फिल्म को शामिल किया जाएगा, जो जीवन मूल्यों, आत्म सुधार, राष्ट्रप्रेम एवं सामाजिक समरसता का बढ़ावा देने वाली हों। इस पहल से कैदियों को मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा और नैतिक प्रेरणा प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगी।
एक्सपर्ट की मदद जेल मुख्यालय से स्वीकृति मिलने पर सिनेमा हॉल में प्रोजेक्टर का संचालन एवं स्टाल करने के लिए एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है। उनके जरिए तकनीकी व्यवस्था के साथ ही प्रोजेक्टर, बड़ी स्क्रीन, साउण्ड सिस्टम लगाया जा रहा है। जहां कैदी और बंदी अनुशासित रुप में फिल्म और शिक्षाप्रद शार्ट फिल्म देख सकेंगे। जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और उनमें आत्मनिरीक्षण की भावना विकसित होगी।
फिल्मों से जरिए प्रेरणा मिलेगी जेल प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि यह पहल सुधारात्मक नीतियों का हिस्सा है। इसके माध्यम से कैदियों को पुर्नवास एवं आत्म-उत्थान के अवसर प्रदान किए जा रहे है। वहीं शिक्षा, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण, विभिन्न तरह के कलात्मक और घरेलू उपयोग के सामानों का निर्माण किया जा रहा है। इसका विक्रय जेल परिसर में बनाए गए मॉल( उत्थान मॉल) के जरिए किया जा रहा है।