Pahalgam Terror Attack: 70 लोगों को मिली नागरिकता
पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आने वालों के लिए राजधानी के देवपुरी में शदाणी दरबार शरण स्थली है। बताते हैं कि देश विभाजन के समय दोनों देशों के बीच प्रोटोकाल समझौते में हर साल एक जत्था यहां से सिंध पाकिस्तान जाता है और उधर से एक जत्था भारत आता है।
इसी समझौते के तहत या पाकिस्तान में प्रताड़ित होकर लोग लॉग टर्म और शॉर्ट टर्म वीजा लेकर आते हैं। उनमें से हर बार कम से कम 15 से 20 लोग कभी लौट कर नहीं जाते हैं। बल्कि यहीं के होकर रह जाते हैं। अब वापस भेजे जाने को लेकर पसोपेश में हैं। उन्हें पाकिस्तान जाने में डर सता रहा है।
15 से 20 परिवारों में होना था समारोह
नंदलाल साहित्या ने बताया कि रायपुर, दुर्ग,
बिलासपुर और नागपुर में ऐसे 15 से 20 परिवार हैं जिनके यहां कार्यक्रम हैं। उसमें शामिल होने के लिए कई लोग आए हैं। रायपुर में रहने वाले फत्तूराम की सगाई तीन साल पहले सिंध पाकिस्तान में रहने वाले परिवार में हुई थी, उस परिवार को अब वीजा नहीं मिल रहा है। ऐसे करीब 15 जोड़ों की सगाई अधर में अटक गई है।
उनका कहना है कि सिंध
पाकिस्तान से आने वालों का वीजा बड़े मुश्किल से मिलता है, परंतु हिंदुओं को वापस भेजने में कोई रोक-टोक नहीं है। उन्हें मजबूर करके वापस भेजा जा रहा है। लंबे इंतजार के बाद नंदलाल साहित्या को भारत की नागरिकता मिली है। उनका कहना है कि पाकिस्तान में हिंदुओं के धर्म को बड़ा खतरा है।
वहां से बेदखल होकर
छत्तीसगढ़ में करीब 2 हजार लोग होंगे। भारत सरकार के नियम अनुसार 2014 के पहले से रह रहे लोगों को नागरिकता देने का नियम है, परंतु केवल 70 लोगों को ही मिल पाई है।