World Family Day: फैमिली व्हाट्सएप ग्रुप्स अब रिश्तों की बन चुकी है रीढ़, जानें डिजीटल तकनीक की कहानी
World Family Day: गुड मॉर्निंग, जय श्रीराम जैसे मैसेज, परिवार के फोटो, खाने की रेसिपी, बच्चों की टॉपर लिस्ट और नानी-दादी की यादें। ये सब आज एक मोबाइल स्क्रीन पर रोज एक साथ दिखता है। मौका है इंटरनेशनल डे ऑफ फैमिलीज का, और जिक्र है उन फैमिली वाट्सऐप ग्रुप्स का, जो अब रिश्तों की रीढ़ बन चुके हैं।
World Family Day: रायपुर में रहकर पढ़ाई कर रही भावना साहू बताती हैं, हम सब भाई-बहन अलग-अलग शहरों में हैं। ममी-पापा गांव में रहते हैं। लेकिन वाट्सऐप की वजह से रोज साथ होने का एहसास बना रहता है। ममी जब भाजी बनाती हैं, फोटो भेजती हैं। पापा हर सुबह एक श्लोक भेजते हैं।
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World Family Day: बदलते समय में फैमिली ग्रुप एक प्रतिशत डिजिटल बैठक प्रतिशत बन गए हैं, जहां कोई ऑफिस से ब्रेक लेकर चाय की चुस्की के साथ भांजे की फोटो देख रहा होता है, तो कोई बहन भाई की तबीयत कैसी है पूछ रही होती है।
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World Family Day: साझा हो रही हैं भावनाएं: वाट़्सऐप ग्रुप फैमिली के एडमिन समीर ने कहा कि सालों पहले जो चिट्ठियों और रक्षाबंधन के लिफाफों से रिश्तों की मिठास बहती थी, आज वो भावनाएं फैमिली वाट्सऐप ग्रुप के माध्यम से हर दिन साझा हो रही हैं।
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World Family Day: परिवार दिवस के मौके पर यह समझना जरूरी है कि परिवार अब सिर्फ दीवारों के भीतर नहीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन पर भी धड़कता है। फैमिली ग्रुप की फिजा कहती हैं, मामा-मामी से लेकर मौसी, फूफा, चचेरे-फुफेरे भाई-बहन और दादी-नानी तक, हर पीढ़ी अब गुड मॉर्निंग मैसेज से दिन की शुरुआत करती है और खाना खा लिया? से दिन का अंत।
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World Family Day: घरों में संवाद को नया जीवन: साइकोलॉजिस्ट गौतमी मानती हैं टेक्नोलॉजी अगर सही इस्तेमाल हो, तो वो रिश्तों को बांधती है। फैमिली ग्रुप्स ने कई घरों में संवाद को नया जीवन दिया है, खासकर महामारी के बाद। हालांकि सब कुछ इमोजी भर नहीं है।
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World Family Day: कहीं-कहीं राजनीतिक बहस, फॉरवर्डेड मैसेज या ग्रुप से ‘लीव’ करने की नौबत भी आती है। लेकिन इससे इतर, जब कोई ग्रुप में शुभ समाचार देता है और पूरा परिवार से स्वागत करता है, तो वही डिजिटल अपनापन दिल को छूता है। परिवार दिवस पर यह अहसास भी जरूरी है कि इन वर्चुअल रिश्तों को बनाए रखना भी एक जिम्मेदारी है।