फेसबुक पोस्ट में उभरा दर्द, बताया अंधकारमय दौर
“25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक देश में 21 महीने का आपातकाल लगा था। उस वक्त मेरे वालिद मोहम्मद आजम खान 19 महीने जेल में रहे। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो लगता है जैसे हमारे पूरे परिवार ने पिछले 6 सालों में उससे भी भयानक दौर झेला है।” “आजम पहले 27 महीने जेल में रह चुके हैं और अब दोबारा जेल गए हुए 21 महीने हो रहे हैं। मैं, मेरी मां प्रोफेसर तजीन फातमा, और खुद भी जेल की सजा भुगत चुके हैं। फिलहाल हम ज़मानत पर बाहर हैं।”
“घोषित-अघोषित आपातकाल जैसे हालात”
अब्दुल्ला ने आगे कहा कि “2019 से अब तक का समय हमारे परिवार के लिए बेहद तकलीफदेह रहा है। इतनी लंबी अवधि तो आपातकाल की भी नहीं थी। मगर हमें अपने रब और न्यायपालिका पर पूरा यकीन है कि इंसाफ जरूर मिलेगा।”
सियासी मायने और भावनात्मक अपील
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब्दुल्ला की यह पोस्ट साफ तौर पर एक भावनात्मक और राजनीतिक संदेश है। यह पोस्ट ऐसे वक्त आई है जब आजम खान एक बार फिर जेल में हैं और पूरा परिवार लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। अब्दुल्ला आज़म की इस फेसबुक पोस्ट को “राजनीतिक बदले की भावना” और “घोषित-अघोषित आपातकाल” जैसे शब्दों से जोड़ना, सत्ता के खिलाफ गंभीर आरोपों की ओर भी इशारा करता है।