scriptSawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि में भोलेनाथ को कौन से फूल, भोग और जल अर्पित करें | Sawan Shivratri 2025 Which flowers offerings and water should be offered to Bholenath Puja Samagri | Patrika News
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Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि में भोलेनाथ को कौन से फूल, भोग और जल अर्पित करें

Sawan Shivratri 2025: अगर आप सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पूरी श्रद्धा और विधिविधान से पूजा करें। सही सामग्री और सही मुहूर्त में किए गए पूजन से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

भारतJul 22, 2025 / 11:44 am

MEGHA ROY

Sawan Shivratri offerings for Lord Shiva फोटो सोर्स – Freepik

Sawan Shivratri offerings for Lord Shiva
फोटो सोर्स – Freepik

Sawan Shivratri 2025 Puja Samagri: सावन का पवित्र महीना शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूरे मन से पूजा-अर्चना करते हैं। खासकर सावन शिवरात्रि का दिन, जिसे भोलेनाथ की कृपा पाने का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है। इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं, रुद्राभिषेक कराते हैं और जलाभिषेक के साथ भगवान शिव को विविध भोग और फूल अर्पित करते हैं। आइए जानते हैं इस दिन पूजन में किन-किन सामग्रियों की आवश्यकता होती है, पूजा की विधि क्या है और शुभ मुहूर्त कब है।

Sawan Shivratri 2025 Puja Samagri (पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट)

सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री एकत्र करना आवश्यक है।

मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग
5 प्रकार के फल
7 बेलपत्र
7 शमी पत्र
7 लाल फूल
7 सादे पुष्प
दूध, दही, शहद, घी, शक्कर
इत्र और गंगाजल
108 चावल के दाने
मिठाई
एक लोटा जल
21 गेहूं के दाने
5 कमल गट्टे
21 काली मिर्च
1 चुटकी काले तिल
1 धतूरा
तीन गोल सुपारी
रोली, कलावा, अबीर
लॉन्ग, इलायची
पान के पत्ते
गुलाल
पीला चंदन
कपूर
दो घी के दीपक, धूपबत्ती
दो जनेऊ (एक गणेश जी के लिए और एक शिवजी के लिए)

Sawan Shivratri 2025 Puja Muhurat (पूजा का शुभ समय)

इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को पड़ रही है।पूजा का शुभ मुहूर्त: 23 जुलाई सुबह 04:39 से 24 जुलाई सुबह 06:13 तक।

Sawan Shivratri Puja Vidhi (पूजा विधि)

सुबह की शुरुआत: ब्रह्म मुहूर्त में उठें, स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
स्थान की शुद्धता: पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें और भगवान शिव की प्रतिमा या पार्थिव शिवलिंग स्थापित करें।

अभिषेक प्रक्रिया: शिवलिंग को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) और गंगाजल से स्नान कराएं।
पूजन सामग्री अर्पण: बेलपत्र, शमी पत्र, फूल, भांग, धतूरा, फल, मिठाई और इत्र चढ़ाएं।

विशेष अर्पण: पुरुष जनेऊ अर्पित करें और महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं।

चंदन व त्रिपुंड: सफेद चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं।
दीप व मंत्र जाप: घी का दीपक जलाएं और रुद्राक्ष माला से ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…’ महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।

आरती व प्रसाद वितरण: शिव जी की आरती करें, खीर या मिठाई का भोग लगाएं और फिर प्रसाद वितरित करें।

क्यों खास है सावन शिवरात्रि?

सावन मास की शिवरात्रि को कावड़ यात्रा का अंतिम दिन भी माना जाता है। इस दिन किया गया रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र जाप बेहद फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव की सच्चे मन से की गई पूजा से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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