scriptरणथम्भौर: समान जीन पूलिंग से बाघों की प्रजाति पर बड़ा खतरा! कुनबा बढ़ा, लेकिन जेनेटिक विविधता की अनदेखी | Ranthambore: Same gene pooling poses a big threat to the tiger species! The population has grown, but genetic diversity has been ignored | Patrika News
सवाई माधोपुर

रणथम्भौर: समान जीन पूलिंग से बाघों की प्रजाति पर बड़ा खतरा! कुनबा बढ़ा, लेकिन जेनेटिक विविधता की अनदेखी

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों में जीन पूलिंग एक बड़ा खतरा बनने लगी है। वन विभाग ने इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन की जरूरत बताकर काम शुरू किया है लेकिन अन्य राज्यों से ​अभी कोई सहयोग नहीं मिला है।

सवाई माधोपुरMay 06, 2025 / 08:08 am

anand yadav

शुभम मित्तल
राजस्थान में सवाईमाधोपुर स्थित रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ने से वन विभाग उत्साहित है, लेकिन समान जीन पूल की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। रणथम्भौर के एक तिहाई से अधिक बाघ-बाघिन समान जीन पूल से हैं, जिससे उनकी शारीरिक क्षमता, शिकार कारने की योग्यता और आयु पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है। वन विभाग ने अब तक इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन को लेकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तराखंड के वन अधिकारियों को भी इस बारे में पत्र लिखा था, लेकिन कुछ नहीं हो पाया है।

संबंधित खबरें

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व

क्या है आगे की राह

रणथम्भौर में बाघों की जेनेटिक विविधता को बनाए रखने के लिए तत्काल इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन और वैज्ञानिक उपायों की जरूरत है। वन विभाग को इस दिशा में सक्रियता दिखानी होगी, ताकि बाघों का भविष्य सुरक्षित रहे।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलोजिकल साइसेंस, बेंगलूरु ने 20 से अधिक टाइगर रिजर्व का दौरा कर बाघों के नमूनों का अध्ययन किया था। इस स्टडी में राजस्थान में समान जीन पूल की समस्या सबसे गंभीर पाई गई। रिपोर्ट के अनुसार, समान जीन पूल वाले बाघ शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं, उनकी शिकार करने और दौड़ने की क्षमता प्रभावित होती है, और उनकी संतानों की उम्र भी कम हो सकती है। यह समस्या बाघों के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए बड़ा खतरा है।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व

इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन की योजना अधूरी

समान जीन पूल की समस्या से निपटने के लिए 2019-20 में वन विभाग ने इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन की योजना बनाई थी। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से बाघ-बाघिन लाने की चर्चा हुई, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ी। हालात अभी भी जस की तस है।

एमपी से मिली अनुमति, लेकिन मामला अटका

समान जीन पूल की समस्या को लेकर इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन ही एकमात्र विकल्प है। इस दिशा में काम भी किया जा रहा है। पूर्व में एमपी से बाघ-बाघिनों को शिफ्ट करने की अनुमति मिल गई थी, लेकिन एनटीसीए की आपत्ति के कारण मामला अटका हुआ है।
संजीव शर्मा, पूर्व उपवन संरक्षक, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी

Hindi News / Sawai Madhopur / रणथम्भौर: समान जीन पूलिंग से बाघों की प्रजाति पर बड़ा खतरा! कुनबा बढ़ा, लेकिन जेनेटिक विविधता की अनदेखी

ट्रेंडिंग वीडियो