
क्या है आगे की राह
रणथम्भौर में बाघों की जेनेटिक विविधता को बनाए रखने के लिए तत्काल इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन और वैज्ञानिक उपायों की जरूरत है। वन विभाग को इस दिशा में सक्रियता दिखानी होगी, ताकि बाघों का भविष्य सुरक्षित रहे।
इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन की योजना अधूरी
समान जीन पूल की समस्या से निपटने के लिए 2019-20 में वन विभाग ने इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन की योजना बनाई थी। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ से बाघ-बाघिन लाने की चर्चा हुई, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह योजना परवान नहीं चढ़ी। हालात अभी भी जस की तस है।एमपी से मिली अनुमति, लेकिन मामला अटका
समान जीन पूल की समस्या को लेकर इंटर स्टेट ट्रांसलोकेशन ही एकमात्र विकल्प है। इस दिशा में काम भी किया जा रहा है। पूर्व में एमपी से बाघ-बाघिनों को शिफ्ट करने की अनुमति मिल गई थी, लेकिन एनटीसीए की आपत्ति के कारण मामला अटका हुआ है।संजीव शर्मा, पूर्व उपवन संरक्षक, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, बूंदी