scriptCrime: दो माह में तीन दर्जन से अधिक कार्रवाई, फिर भी थम नहीं रहे मामले, हुआ था कलेक्टर और एसी का ट्रांसफर | Crime: More than three dozen actions in two months, still the cases are not stopping, Collector and AC were transferred | Patrika News
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Crime: दो माह में तीन दर्जन से अधिक कार्रवाई, फिर भी थम नहीं रहे मामले, हुआ था कलेक्टर और एसी का ट्रांसफर

गोवंश तस्करों को नहीं है ‘खाकी’ का खौफ

सिवनीApr 17, 2025 / 02:31 pm

ashish mishra

सिवनी. जिले में गो-तस्करी का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद तस्करों पर ‘खाकी’ का खौफ भी नहीं दिख रहा है। अपराधी गोवंश की तस्करी लगातार कर रहे हैं। कई मामले में पुलिस कार्रवाई कर रही है तो कई मामले उजागर नहीं हो पा रहे हैं। लगातार मवेशियों को नागपुर कत्लखाने ले जाया जा रहा है। विभिन्न जगहों से दलाल अपनी काली कमाई के लिए बड़े मवेशियों के साथ छोटे बछड़ों को भी गाय के साथ कत्लखाने भेज रहे है। पुलिस की बीते कुछ माह में हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई से इसका खुलासा हुआ है। वाहनों में इन पशुओं को ठूंस-ठूंस कर भर कर ले जाया जा रहा है। ऐसे में कई पशुओं की वाहन में ही दम घुंटने से मौत हो जाती है। इतना ही नहीं जंगल के रास्ते भी मवेशियों की तस्करी की जा रही है। बता दें कि पशुओं की तस्करी करने वाले तस्करों के हौंसले इतने बुलन्द है कि यह अपनी गाड़ी में ईंट, रॉड, पत्थर और डंडे डालकर रखते हैं और पीछा करने वालों के उपर ईंट व पत्थरों से हमला कर बुरी तरह से घायल भी कर देते है। कई बार तस्करों के पीछा करने में पुलिस की जान पर बन आ रही है। वाहन जांच के लिए रोकने के बावजूद तस्कर भागने का प्रयास करते हैं। इसमें हादसे भी हो रहे हैं।
नया कानून भी नहीं रोक पा रहा तस्करी
अगस्त 2024 में सूबे की मोहन सरकार ने गो-तस्करी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। नया कानून लाया गया। नए कानून के तहत गो-तस्करी करते पकड़े जाने वाले शख्स को 7 साल की कड़ी सजा का प्रावधान है। नए विधेयक के तहत गो-तस्करी करने वालों को 7 साल की सजा के साथ गो-तस्करी में इस्तेमाल वाहन को भी राजसात करने का प्रावधान है। आंकड़ों के अनुसार जून 2024 से अब तक लगभग 57 वाहन राजसात हुए हैं।
इन उपायों से रोकी जा सकती है तस्करी
बीते दो माह की बात करें तो पुलिस ने गौवंश तस्करी के तीन दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए हैं। अधिकतर मामले में यह सामने आया कि गोवंश तस्कर अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए। आरोपियों को सजा मिलने में भी देरी हो रही है। जानकारों का कहना है कि कड़े कानून के साथ उसका सख्ती से पालन होना जरूरी है। दोषियों को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए। पुलिस और प्रशासन की सतर्कता भी बढ़ाना चाहिए। गांव स्तर पर ग्राम पंचायत और स्वयंसेवी संगठनों को निगरानी की जिम्मेदारी भी देनी होगी। मशुओं के डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किए जाएं, जिससे अवैध सौदे तुरंत पकड़े जा सकें। अवैध परिवहन रोकने के लिए वाहनों की सख्त जांच होनी चाहिए। सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी होनी चाहिए। एक अलग टीम गठित हो। सबसे जरूरी बात कोर्ट को अपराधियों को सख्त से सख्त सजा देनी होगी।
गोवंश रक्षा वर्ष
मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2024 गौवंश रक्षा वर्ष के रूप में मनाया। गौवंश को लेकर
कई बड़े फैसले भी सरकार ने लिए। हालांकि इसके बावजूद भी तस्करी पर लगाम नहीं
लग पा रही है। जानकारों का कहना है कि इसके लिए विशेष कदम उठाने की जरूरत है।
कलेक्टर एवं एसपी का हो गया था तबादला
सिवनी के धूमा और घंसौर क्षेत्र में जून 2024 में दिल दहला देने वाला मामला सामने आया था। 50 से अधिक गायों और बैलों की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद शव को नदी में बहा दिया गया था। मामले ने तूल पकड़ा। खबर प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव के पास पहुंची। मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जिले में पदस्थ कलेक्टर एवं एसपी को हटा दिया।
ट्रक, बसों में कर रहे गोवंश की तस्करी
जिले में गोवंश तस्करों के हौंसले इस कदर बुलंद है कि वह लगातार अपराध करने का तरीका बदल रहे हैं। पहले ट्रकों से गोवंश की तस्करी होती थी। अब वे पैदल, जंगल के रास्ते, कार एवं बसों में गोवंश की तस्करी करने लगे हैं। बीते 19 मार्च को धूमा थाना क्षेत्र में ट्रेवलर में गौवंश तस्करी का मामला प्रकाश में आया था। पुलिस ने देर रात हाईवे रोड गोटेगांव चौराहा धूमा में नाकाबंदी कर ट्रेवलर को रोका। हालांकि चालक अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। पुलिस ने ट्रेवलर की जांच की। जिसमें गोवंश क्रूरतापूर्वक भरे हुए पाए गए। वाहन में 13 गोवंश पाए गए। पुलिस ने गौवंश को मुक्त कराया। वहीं ट्रेवलर को कब्जे में ले लिया। इसके अलावा कई ऐसे मामले हैं जिसमें यह बात सामने आई कि अपराधी बेखौफ होकर गोवंश की तस्करी कर रहे हैं।
गोवंश तस्करी में मुनाफा अधिक
जानकार बताते हैं कि गोवंश तस्करी में मुनाफा अधिक है। इसी वजह से अपराधी बार-बार इसमें लिप्त होते हैं। जेल से छुटने के बाद भी वह अपराध नहीं छोड़ते और इस धंधे में लिप्त रहते हैं।
इनका कहना है…
अब तक अधिकतर मामलों में यह सामने आया है कि गोवंश तस्कर कई जिलों से होते हुए सिवनी आते हैं और यहां से नागपुर जाते हैं। यह बात भी सही है कि मामले पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं। हालांकि कुछ समय बाद फर्क दिखाई देगा। पुलिस की लगातार कार्रवाई से अपराधियों को अपना पैटर्न बदलना पड़ा है। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है।
सुनील मेहता, एसपी, सिवनी

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