scriptबारिश ने दी पशुओं को संजीवनी, अगेते बाजरे की बुवाई में जुटने लगे किसान | Patrika News
सीकर

बारिश ने दी पशुओं को संजीवनी, अगेते बाजरे की बुवाई में जुटने लगे किसान

ज्येष्ठ माह के दौरान शेखावाटी अंचल में हो रही अच्छी बारिश के बाद पशुपालकों की बांछें खिल गई है। अंचल में बादलों की मेहरबानी से वातावरण ही पूरी तरह बदल गया है।

सीकरJun 05, 2025 / 12:03 pm

Puran

animal fodder in Rajasthan
ज्येष्ठ माह के दौरान शेखावाटी अंचल में हो रही अच्छी बारिश के बाद पशुपालकों की बांछें खिल गई है। अंचल में बादलों की मेहरबानी से वातावरण ही पूरी तरह बदल गया है। खेतों में नाइट्रोजन रूपी अमृत वर्षा के कारण खेतों में चारे की फसलों की सूरत ही बदल गई है। अच्छी बात है कि पशुचारे के भाव भी कम होने लगे हैं। खेती किसानी से जुड़े किसानों ने खेतों की सुध लेने के साथ ही अगेती बुवाई की तैयारी कर ली है।
इस बार किसानों में देसी किस्म के बाजरे और ग्वार की बुवाई के प्रति रुझान बढ़ गया है। किसानों को इस वर्ष अच्छी बारिश होने के कारण पशुचारे की किल्लत से राहत मिलने की पूरी संभावना नजर आने लगी है। जिलेभर में पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई अच्छी बारिश के चलते अधिकांश चारागाह क्षेत्रों में पोषणयुक्त हरी घास चूंटी नजर आने लगी है।
वहीं कई पशुपालकों ने खेतों में हरे चारे की बुवाई भी कर दी है। पशुपालन विभाग के अनुसार मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस बार गौशालाओं में 40 प्रतिशत तक कम चारे की मांग रहने की संभावना है। सीकर जिले में आमतौर पर खरीफ की बुवाई जून के पहले सप्ताह से होने लगती है। जिले में इस बार खरीफ सीजन के दौरान तीन लाख 40 हजार हेक्टैयर में बाजरे की बुवाई की जाएगी। जबकि पिछले साल खरीफ सीजन के दौरान किसान करीब दो लाख 70 हजार हेक्टैयर में बाजरे की बुवाई की थी।

पूरे साल मिलता है चारा

पशुचारा डिपो संचालक शीशपाल सिंह ने बताया कि जिले की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में अधिकांश किसान पशुपालन से जुड़े हुए हैं। पशुपालन के जरिए दूध के उत्पादन से होने वाली नियमित आय के कारण किसानों को इस और रुझान ज्यादा रहता है। जिले के पशुपालक भी बाजरे की कड्बी को कटाई करने के बाद ढ़ेर के रूप में रख लेते हैं। इसके बाद वे इस कडबी की कटाई करके साल भर अपने मवेशियों को खिलाते हैं। पशुचारे के भावों में आई तेजी के कारण हरियाणा व पंजाब से चारा मंगवाया जा रहा था।

फैक्ट फाइल बुवाई है. में

बाजरा-340000

ग्वार-85000

मूंगफली-68000

मूंग-27000

चंवळा-11000

मोठ-280

तिल-120

इनका कहना है

इस बार बारिश के जल्दी आने से कुछ समय बाद खेतों व खाली जमीन पर हरा चारा उगने लगेगा। कई किसानों ने मौसम में नमी घुलते ही पशु चारे के लिए बाजरा, रिजका, कासनी सहित कई फसल बोई है। खरीफ सीजन में इस बार मूंग, मोठ, बाजरा, मूंगफली के मिनिकिट निशुल्क् बांटे जाएंगे। इस बारिश को देखते हुए किसानों में अच्छा उत्पादन होने से भावों में कमी रहेगी। रामनिवास पालीवाल, संयुक्त निदेशक कृषि

Hindi News / Sikar / बारिश ने दी पशुओं को संजीवनी, अगेते बाजरे की बुवाई में जुटने लगे किसान

ट्रेंडिंग वीडियो