अजय शर्माRajasthan: आंखों में पढ़ाई का जुनून और पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने की चाह, लेकिन गंभीर बीमारी ने राजस्थान में सीकर जिले की होनहार बेटी शीतल को जकड़ लिया। कोरोना में पिता की मौत ने परिवार से सहारा छीन लिया। अब बेटी का उपचार तो दूर परिवार के सामने रोजी-रोटी का जुगाड़ करना ही मुश्किल हो रहा है। यह दर्दभरी कहानी है फतेहपुर रोड निवासी कमला देवी के परिवार की। परिवार अब आमजन और सरकार से मदद मिलने की आस लगाए हुए है।
कमला देवी की 17 साल की बेटी को दो साल पहले संक्रमण हुआ था। आर्थिक तंगी की वजह से उपचार में देरी हो गई, इससे संक्रमण लंग्स तक पहुंच गया। बेटी की जिदंगी बचाने के लिए मां ने टिफिन सेंटर शुरू कर दिया वहीं भाई आर्यन एक कैफे में स्टोर का काम संभालता है। पिछले दिनों जयपुर के चिकित्सकों ने परिवार को लंग्स ट्रांसप्लांट की सलाह दी, लेकिन इसका खर्चा 12 लाख से अधिक होने की वजह से परिवार पूरी तरह टूट गया है। सरकारी योजनाओं में उपचार से लेकर हर दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।
भाई पढ़ाई के साथ बहन के उपचार के लिए कर रहा नौकरी
शीतल के भाई आर्यन ने राजकीय कल्याण माध्यमिक विद्यालय से दसवीं पास की है। बहन के गंभीर बीमारी से पीड़ित होने की वजह से आर्यन को अब स्कूल छोड़ना पड़ा। बहन के उपचार के लिए पैसा जुटाने के लिए आर्यन एक कैफे में स्टोर मैनेजर की नौकरी करने जाता है। आर्यन ने बहन के उपचार के लिए बैंक से पर्सनल लोन ले रखा है।
जयपुर में डेढ़ महीने तक भर्ती रही शीतल
लंग्स में संक्रमण बढ़ने पर शीतल को डेढ़ महीने एसएमएस अस्पताल जयपुर में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद निजी चिकित्सकों से भी सलाह ली। लंग्स संक्रमण की वजह से हर महीने छह में आठ हजार रुपए की दवाओं का खर्चा आता है। आर्थिक तंगी की वजह से कई सामाजिक संस्थाओं से भी मदद की गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कहीं से मदद नहीं मिली।
Hindi News / Sikar / Sikar News: पढ़ाई का जुनून, संक्रमण से जूझ रही शीतल को चाहिए सहारा… मदद करो सरकार