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पशु प्रेमियों को राहत: अब पालतू जानवरों के लिए भी डे केयर का जमाना

पूरण सिंह शेखावत यह पेट प्रेमियों के लिए राहत भरी खबर है। शहर से बाहर जाना अब पेट्स ओनर्स के लिए तनाव का कारण नहीं रहा। सीकर जिले में आधा दर्जन से ज्यादा पेट क्रेच खुल गए हैं। जहां सुबह से शाम तक श्वान को रखने के लिए पांच सौ आठ सौ रुपए रोजाना के […]

सीकरMay 29, 2025 / 10:59 am

Puran

पूरण सिंह शेखावत

यह पेट प्रेमियों के लिए राहत भरी खबर है। शहर से बाहर जाना अब पेट्स ओनर्स के लिए तनाव का कारण नहीं रहा। सीकर जिले में आधा दर्जन से ज्यादा पेट क्रेच खुल गए हैं। जहां सुबह से शाम तक श्वान को रखने के लिए पांच सौ आठ सौ रुपए रोजाना के लिए लेते हैं। इसके कारण घर से कुछ दिन के लिए बाहर जाने वाले लोग औसतन आठ से दस हजार रुपए खर्च करके अपने पेट्स को वहां छोड़ जाते हैं। इन क्रेच में पालतू जानवरों को न केवल सुरक्षित माहौल मिलता है, इन क्रेच में पेट्स की नियमित समय पर खाना, खेलने का समय, और हेल्थ चेकअप जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं। कई क्रेच लाइव सीसीटीवी फीचर भी देते हैं ,जिससे मालिक कहीं से भी अपने पेट्स को देख सकते हैं। बकौल पेट ऑनर पहले जहां बच्चों के लिए क्रेच सुविधा होती थी, अब पालतू केट और डाग्स के लिए पेट्स क्रेच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
पेट्स की पसंद का रखा जाता है पूरा ध्यान

हर पेट की अपनी डाइट होती है। क्रेच में उनके टेस्ट के अनुसार खाना तैयार किया जाता है। गर्मियों में कूलर और एसी, और सर्दियों में हीटर का इंतज़ाम भी होता है। इसमें स्पेशल डॉग फूड, बॉयल्ड चिकन या वेजिटेरियन ऑप्शन्स तक शामिल होते हैं। यही नहीं यहां पशु चिकित्सक की नियमित विजिट के होती है। पेट्स के मनोरंजन के लिए खिलौने, खेलने की जगह और कभी-कभी यूजिक थेरेपी जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं। साथ ही, अनुभवी केयरटेकर उनकी सेहत और व्यवहार पर पूरी नजर रखते हैं।
बढ़ रहा है कारोबार

सीकर में पग, जर्मन शेफर्ड, बुल डॉग, डाबरमैन, साइबेरियन हस्की, रोटविलर, मस्टिफ, चो-चो, हाउंड, पॉमेरेनियन, बुली नस्ल के श्वान और कोरिया, चाइना, इजराइल की केट्स पालने का चलन बढ़ा है। शौकीन लोग इन पेट्स को परिवार का सदस्य मानते हुए इनके खान-पान से लेकर साजसज्जा में भी कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। नेल कटिंग, बेसिक बाथ, ग्रुमिंग, के लिए इन्हें क्लीनिक पर ले जाते है। जहां मौसम के अनुसार कोट, स्वेटर, रेनकोट, टॉवेल, फीडिंग बाउल, बेड्स, रजाई, मैट्रेस, चबाने वाली नकली हड्डी, हेयर टॉनिक नेल कटर सरीखे आइटम मिलते है। कई क्लीनिक पर श्वान को बेसिक प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षक भी है जो हर माह पांच से छह हजार रुपए लेते हैं। प्रशिक्षण तीन माह का होता है। सीकर में ब्रीडर अपनी केनल से दूसरे राज्यों तक श्वान की डिलीवरी करते हैं वहीं इनको दूसरे राज्यों से भी मंगवाते हैं।
चार साल में बढ़ा रुझान

श्वान का उपचार करने वाले पशुधन सहायक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि शहर के सबसे बड़े पॉली क्लीनिक में जहां माह में दो-चार श्वान उपचार के लिए आते थे । अब इनकी संया रोज चार दर्जन से ज्यादा तक हो गई है। इन श्वान में नेपाल, चाइना, तिब्बत से लेकर साइबेरिया जैसी ठंडे देशों की नस्ल तक शामिल है। शहर के हर क्षेत्र में पेट क्लीनिक व पेट शॉप है। वहां श्वान के खान-पान से लेकर खेलने-कूदने सहित प्रशिक्षण देने के लिए जरूरी आइटम बिक रहे हैं। श्वान की ब्रीडिंग के लिए केनल खुल गई है।
लोगों की मांग है…

सीकर में पेट्स के लिए लोगों को रुझान बढ़ रहा है। लोगों की मांग को देखते हुए पेट्स क्रेच खुल रहे हैं। जहां पेट्स को सुरक्षित और अच्छा माहौल उपलब्ध करवाया जा रहा है। इससे लोग बिना किसी चिंता के अपने पेट्स को सुरक्षित माहौल और बेहतर माहौल में छोड़कर जा सकते हैं।
अविनाश शर्मा, पेट्स क्रेच संचालक

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