जयपुर में हाल ही में आयोजित पैरा नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप में देश की दिग्गज पैरा आर्चर शीतल देवी को हराकर पायल ने यह साबित किया कि आने वाला वक्त उनका है और बिट्राइस जैसी सफलता उनसे दूर नहीं है। ओडिशा के बालंगीर से पायल को खोजकर तीरंदाजी में लाने वाले जम्मू स्थित श्री माता वैष्णो देवी जम्मू-कश्मीर आर्चरी अकादमी के कोच कुलदीप वेदवान मानते हैं कि पायल में असाधारण प्रतिभा है और खुद पायल भी आत्मविश्वास से लबरेज नजर आती है।
पायल ने साई मीडिया से बातचीत में कहा, “मेरा सपना देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। अगर ओडिशा के बालंगीर के एक अनाथालय से आकर मैं शीतल (दीदी) को हरा सकती हूं को मेरा लक्ष्य देश को गोल्ड दिलाने से कम कुछ हो ही नहीं सकता।”
शीतल देवी भी पायल की प्रतिभा की कायल हैं। शीतल ने खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 के दौरान साई मीडिया से कहा, “जब पायल ने पहली बार तीर चलाया था तब मुझे लगा था कि यह कैसे हो पाएगा लेकिन उसने यह काम बखूबी किया। मुझे अच्छा लगा। पायल प्रतिभाशाली है औऱ मेरी छोटी बहन जैसी है। वह मेहनती है। वह देश का नाम रौशन कर सकती है।”
साल 2015 में छत से गुजरने वाले 11000 वोल्ट की तार की चपेट में आने के कारण पायल के दोनों हाथ और दोनों पैर बेकार हो गए। उस समय पायल पांच साल की थी। पायल इस दुर्घटना को याद नहीं करना चाहती लेकिन उनके कोच कुलदीप ने कहा, “इस एक्सीडेंट ने पायल के हाथ और पैर छीन लिए। जान बच गई लेकिन इसके बाद घरवालों का पायल का ख्याल रख पाना मुश्किल हो रहा था तब उस इलाके के किसी प्रभावशाली व्यक्ति ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को एक निवेदन देकर पायल को 2019 में बालंगीर के ही एक अनाथालय- पार्वतीगिरी बालनिकेतन- में रखवा दिया। वहां पायल तीन साल तक रही और फिर 2022 में मैं इसे जम्मू ले आया।”
पायल कितनी होनहार है, इसे साबित करने के लिए कुलदीप ने बताया कि जनवरी 2025 में जयपुर में आयोजित छठी पैरा नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप पायल का पहला कम्पटीशन था। पायल ने भारत के पैरा आर्चरी के दिग्गज खिलाड़ियों की मौजूदगी में यहां रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया। इसमें पायल की हमराज्य और पैरालंपिक पदक विजेता शीतल देवी और पैरालंपियन ज्योति बालियान भी थीं। शीतल के साथ-साथ ज्योति भी कुलदीप की ही शिष्या हैं। पायल ने रैंकिंग में तमाम दिग्गजों को हराकर स्वर्ण पदक जीता। इसके अलावा पायल ने ओलंपिक राउंड में पायल ने शीतल को हराया औऱ नेशनल चैंपियन बनी।