बैठक में उपमुख्यमंत्री ने कहा, ’’माओवाद से मुक्ति केवल सुरक्षा बलों से नहीं, बल्कि जनसहभागिता से ही संभव है।’’ उन्होंने कहा कि यदि किसी पंचायत में कोई भटका हुआ व्यक्ति है, तो उसे समझा-बुझाकर पुनर्वास के लिए प्रेरित करें। ऐसे व्यक्ति को मुआवजा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और कानूनी संरक्षण दिया जाएगा। भविष्य में उसके पूर्व मामलों को भी माफ किया जाएगा ताकि वह मुख्यधारा में लौट सके।
कार्यक्रम में आईजी पी. सुंदरराज, कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव, जिला पंचायत सीईओ नम्रता जैन, डीएफओ अक्षय भोंसले, एएसपी उमेश गुप्ता, राज्य महिला आयोग की सदस्य दीपिका सोरी, नगरपालिका अध्यक्ष हूंगाराम मरकाम, धनीराम बारसे, कोरसा सन्नू, अरुण सिंह भदोरिया, नूपुर वैदिक, विश्वराज सिंह चौहान समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि, समाजजन और अधिकारी उपस्थित रहे।
क्षेत्रों में केवल आदिवासी ही सरपंच व अध्यक्ष
उपमुख्यमंत्री शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि पेसा कानून के तहत आने वाले पंचायत क्षेत्रों में केवल आदिवासी ही सरपंच और अध्यक्ष बन सकते हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को रायपुर आमंत्रित करते हुए कहा कि वे राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी प्राप्त करें और अपने क्षेत्र में बेहतर काम करें। प्रभारी मंत्री केदार कश्यप ने क्षेत्र में माओवाद के खात्मे को लेकर सरकार के प्रयासों की सराहना की और जनप्रतिनिधियों से एकजुट होकर विकास कार्यों में भागीदारी की अपील की।
सुकमा प्रीमियर लीग आयोजित करने के निर्देश
बैठक में जनप्रतिनिधियों की मांग पर
उपमुख्यमंत्री ने सभी पंचायतों को क्रिकेट किट वितरित करने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने ‘सुकमा प्रीमियर लीग (एसपीएल)’ के नाम से पंचायत स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए। उन्होंने कहा कि खेलों से युवाओं को जोड़ने से उनमें आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का विकास होगा।