इस मामले में उनको पर्याप्त सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया था। इसके बाद भी डॉक्टर प्रिंस जायसवाल द्वारा कोई संतोषप्रद साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया था। जारी आदेश में उल्लेख किया गया है कि डॉ. प्रिंस जायसवाल द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सेवारत रहते हुए भी राज्य कार्यालय द्वारा जारी विज्ञापन में फर्जी, कूटरचित दस्तावेजों को प्रस्तुत कर जिला कार्यक्रम प्रबंधक के पद में नियुक्ति पाने का प्रयास किया गया।
इस कृत्य (Dismissed from Job) को मानव संसाधन नीति 2018 का उल्लंघन माना गया। साथ ही छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 सामान्य (1) एवं संविदा सेवा नियम 2012 का भी उल्लंघन माना गया। इस पर उनकी संविदा नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है।
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इस मामले में शिकायतकर्ता संजय जायसवाल ने कहा मेरी शिकायत पर कार्यवाही करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने डॉ. प्रिंस जायसवाल की संविदा सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त (Dismissed from Job) कर दी है। बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद उन्होंने प्रमाणित स्पष्टीकरण नहीं दिया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने शासकीय संविदा पद पाने के लिए जान-बूझकर फर्जी डिग्री का सहारा लिया।