Temples in India And Abroad: चैत्र नवरात्रि में देश विदेश के इन मंदिरों में करें दर्शन, माता रानी हो जाएंगी प्रसन्न
Temples in India And Abroad: आदि शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि रविवार 30 मार्च से शुरू हो गया है। इस पर्व में नवमी तक लोग मां जगदंबा की पूजा अर्चना और मां दुर्गा के मंदिरों में दर्शन करते हैं। आइये जानते हैं देश विदेश के उन मंदिरों के बारे में जहां दर्शन से माता रानी हो जाती हैं प्रसन्न (Vaishno Devi Mandir Joshereshwari Shaktipeeth)
Vaishno Devi Mandir Joshereshwari Shaktipeeth Bangladesh Hinglaj Mata Temple Balochistan glimpse in Navratri Durga Temples in India And Abroad: चैत्र नवरात्रि के प्रमुख मंदिर
Vaishno Devi Mandir Joshereshwari Shaktipeeth : हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति और जीवन का आधार माना गया है। वैसे तो देश का कोई इलाका नहीं होगा जहां मां दुर्गा के मंदिर न हो, लेकिन चैत्र नवरात्रि 2025 के अवसर पर हम आपको वैष्णो माता मंदिर समेत देश विदेश के उन मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां दर्शन से माता रानी आसानी से प्रसन्न हो जाती हैं (Temples in India And Abroad)
वैष्णो देवी मंदिर भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के रियासी जिले में कटरा शहर के पास त्रिकुटा पर्वत पर एक गुफा में स्थित है। मान्यता है कि माता वैष्णवी ने इस स्थान पर आध्यात्मिक अनुशासन और तपस्या करते हुए कुछ समय बिताया था। यहां माता ने अपने मानव रूप को तीन सर्वोच्च ऊर्जाओं के सूक्ष्म रूप के साथ मिला दिया था। कालांतर में पांडवों ने देवी मां के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता के लिए कोल कंडोली और भवन में मंदिर बनवाए थे।
यहीं पर पवित्र गुफा के ऊपर एक पहाड़ पर पांच पत्थर की संरचनाएं हैं, जिन्हें पांच पांडवों के चट्टानी प्रतीक माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि यह मंदिर सभी शक्तिपीठों (एक ऐसा स्थान जहां देवी मां, शाश्वत ऊर्जा का निवास है) में सबसे पवित्र है क्योंकि यहां माता सती का कपाल और दाहिना हाथ गिरा था। ( कुछ का कहना है कि कश्मीर में गंदेरबल नामक स्थान पर सती का दाहिना हाथ गिरा था।)
जोशेरेश्वरी शक्तिपीठ को भवानीपुर शक्तिपीठ के नाम से भी जानते हैं। यह बांग्लादेश के बोगरा जिले में स्थित है। यहां नवरात्रि के दौरान कलश की पूजा की जाती है। यह भवानीपुर मंदिर करतोया नदी के तट पर स्थित है।
राजा रामकिशन ने 17वीं से 18वीं शताब्दी के बीच 11 मंदिरों का निर्माण कराया था। मान्यता है कि यहां माता सती की बायीं पसलिया गिरीं थी। यहां सती को अपर्णा और भगवान शिव को वामन या बमेश के रूप में पूजा जाता है। यहां महा सप्तमी, महा अष्टमी और महानवमी पर पशु बलि भी दी जाती है
हिंगलाज माता मंदिर, बलोचिस्तान (Hinglaj Mata Temple Balochistan)
पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में हिंगोल नदी के तट पर एक गुफा में हिंगलाज माता का मंदिर है। यह देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी के रूप में पूजा जाता है, इसे नानी मंदिर भी कहते हैं।
मंदिर में मिट्टी की वेदी है। इस पर छोटे आकार की सिंदूर पुती शिला है, जिसे हिंगलाज माता के प्रतिरूप के रूप में पूजा की जाती है।