ताल लिधौरा निवासी ध्यानी सिंह घोष 85 वर्ष का रविवार की सुबह निधन हो गया। वह अपने छोटे पुत्र दामोदर के साथ रहते थे। पिता के निधन के बाद दामोदर उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां करने लगा। वहीं सूचना पर ग्रामीणों के साथ ही रिश्तेदार भी उसके घर पहुंच गए। परिवार में जब अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी, तभी दामोदर का बड़े भाई हरि किशन अपने बेटे और परिजनों के साथ दामोदर के घर पहुंचा और पिता का अंतिम संस्कार करने की जिद करने लगा। वह अपने खेत पर पिता का अंतिम संस्कार करने की बात कह रहा था। इस पर दामोदर ने उसे अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। दामोदर का कहना था कि उसने ही पिता की सेवा की है और वही अब अंतिम संस्कार करेगा। परिजनों का कहना था कि अंतिम समय में ध्यानी की तबीयत बिगडऩे पर बड़े बेटे और उसके परिवार ने सुध नहीं ली। वह देखने आए तो अंदर तक नहीं गए। पूरी सेवा छोटे पुत्र और उसके परिजनों ने की है। ऐसे में दामोदर को ही अंतिम संस्कार करने का हक दिया जाए। इसी बात को लेकर विवाद होता रहा। बताया जा रहा है कि बड़े पुत्र के परिजनों ने मारपीट भी की है।
विचलित हो गया था पूरा गांव विवाद के बीच पिता के शव को घर के बाहर सड़क पर रख दिया गया। इसे लेकर रिश्तेदार और परिजन हर प्रकार से दामोदर और हरि किशन को समझाते रहे, लेकिन वह नहीं माने। दामोदर के बेटे रिंकू घोष का कहना था कि हरी किशन पिता के शरीर के दो टुकड़े कर अलग-अलग संस्कार करने की बात कर रहे थे। इस पर सभी ने उन्हें समझाया, लेकिन वह नहीं माने। ऐसे में नाराज होकर रिश्तेदार भी वापस चले गए थे। यह बात सुनकर पूरा गांव विचलित हो गया।
दोनों को समझाइश दी है &पिता के अंतिम संस्कार को लेकर दोनों बेटों के बीच विवाद हो गया था। सूचना पर मौके पर पहुंचकर रिश्तेदारों व परिजनों से पूरी जानकारी लेने के बाद छोटे पुत्र दामोदर से अंतिम संस्कार कराया गया है। बड़े पुत्र को सलाह दी गई है कि वह भी पिता के अंतिम संस्कार में जो मन करता है, उस हिसाब से सहयोग करे।
– अरविंद सिंह दांगी, थाना प्रभारी, जतारा।