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Udaipur News : 22 वर्ष बाद भाई से मिल खुशी से झूमी बहन, बोली- इस बार बांधूंगी राखी

Udaipur News : खुशखबर। अचानक 22 वर्ष बाद खोया हुए भाई से मिल खुशी से बहन झूमी। बहन कटली ने कहा इस बार मैं अपने भाई को राखी बांधूंगी।

उदयपुरFeb 09, 2025 / 01:43 pm

Sanjay Kumar Srivastava

Udaipur Sister was Over joyed to meet Brother after 22 Years said this time I will tie Rakhi
Udaipur News : खुशखबर। बांसवाड़ा के बड़ी सरेड़ी में लगभग 22 साल पहले मजदूरी करने के बाद गुजरात गए कांति भामोत लापता हो गए। परिवारजन ने खूब ढूंढा, लेकिन पता नहीं चला। इस बीच माता-पिता का भी निधन हो गया। लेकिन 22 साल बाद अपना घर आश्रम उदयपुर के प्रयास से फिर कांति का उसकी बहन कटली व परिवार से मिलन हुआ। जहां उसकी खुशी का ठिकाना तक नहीं रहा।

कांति को आश्रयहीन अवस्था में रेस्क्यू किया

आश्रम सचिव गोपाल कनेरिया ने बताया कि रेस्क्यू टीम ने नरेश पाटीदार की सूचना पर बांसवाड़ा से 15 अक्टूबर 2024 को कांति को आश्रयहीन अवस्था में रेस्क्यू किया था। निरंतर चिकित्सा एवं सेवा के कारण स्वास्थ्य में सुधार होने पर काउंसलिंग में उसने गांव बताया। जिस पर वहां के सरपंच से संपर्क कर टीम ने जानकारी जुटाई और कांति की वीडियो कॉल पर बात कराई।

भाई को देख बहन कटली खुशी से झूमी

सूचना पर उसकी बहन कटली डामोर, भाभी इटली, भतीजा प्रकाश भामोत, गांव के सूरज निनामा, जीतू निनामा, दिनेश ढिंढोर, बदामीलाल, लक्ष्मण, जगमाल, अनिल आदि उसे लेने अपना घर आश्रम पहुंचे। भाई को देख बहन कटली ने कहा कि 22 साल बाद वह अपने भाई को राखी बांधेंगी।
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दो भाइयों का 7 माह बाद हुआ मिलन

रेस्क्यू अभियान के तहत गजानंद पटेल को 14 अक्टूबर 2024 को मावली से रेस्क्यू कर आश्रम में लाया गया। प्रवेश के समय उसने अपना पता केवल वाराणसी, उत्तरप्रदेश बताया। आश्रम में सेवा, उपचार के बाद स्वास्थ्य में सुधार हुआ और काउंसलिंग के दौरान घर का पता जगदीशपुर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश बताया। टीम ने इंटरनेट के माध्यम से काफी प्रयासों के बाद एक ई-मित्र की दुकान वालों के नंबर पर संपर्क किया तो उन्होंने गजानंद को पहचान लिया। परिवार वालों से वीडियो कॉल के माध्यम से पुष्टि कराई गई। सूचना पर गजानंद के भाई सदानंद पटेल, चचेरे भाई सुरेंद्र पटेल लेने के लिए आश्रम उदयपुर पहुंचे। जहां आश्रम प्रभारी सुल्तान सिंह एवं सेवा साथी आकाश कुमार ने तिलक लगाकर एवं उपरना पहनाकर विदा किया।

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