इस बीच नगर के घाटों और मंदिरों पर व्रती महिलाओं की भीड़ जुटी रही। हालांकि बाजारों में पूरी तरह सन्नाटा फैला रहा।
व्रत के तीसरे दिन मातृ नवमी को महिलाओं ने अपनी अपनी दिवंगत सास को अच्छे अच्छे पकवानों को समर्पित करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि और विदाई दी। आज के दिन सास के तर्पण के लिए महिलाएं उड़द की दाल, रिकवाच ( अरबी के पत्ते की पकौड़ी), दाल पूड़ी और बखीर( गुड वाली खीर) बनाती हैं और उससे अपने पितरों की विदाई करती हैं।