राजनीतिक तापमान हाई: यूनुस का ‘इस्तीफा कार्ड’ मजबूरी या रणनीति ?
अंतरिम प्रधानमंत्री यूनुस का यह बयान विपक्ष पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यूनुस की ‘इस्तीफा धमकी’ दरअसल बीएनपी और अन्य विपक्षी दलों को झुकाने की एक सियासी चाल है, ताकि वे चुनावी प्रक्रिया में शामिल हो जाएं। हालांकि बीएनपी ने इसे सत्ता पक्ष की “नाटकीयता” बताया है और कहा है कि जब तक चुनाव की तारीख और निष्पक्षता सुनिश्चित नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे।
अब मौजूदा ये हालात हैं
बीएनपी प्रवक्ता: “यूनुस साहब के पास जनसमर्थन नहीं है, इसलिए इस्तीफे की धमकी देकर सहानुभूति बटोरना चाह रहे हैं।” छात्र नेता (डूयू): “हम चुनाव नहीं, जवाब चाहते हैं। भ्रष्टाचार और सेना की दखल पर चुप्पी अब बर्दाश्त नहीं।” राजनीतिक विश्लेषक: “सड़कों पर उतरना एक नई लहर की शुरुआत है, यूनुस का इस्तीफा अब केवल समय की बात है।”
सुलगते हुए ज़रूरी सवाल:
क्या सेना चुनावी प्रक्रिया में खुले तौर पर हस्तक्षेप करेगी ? यूनुस के इस्तीफे के बाद अगला नेतृत्व कौन संभालेगा ? क्या यह सब एक योजनाबद्ध स्क्रिप्ट का हिस्सा है ?
इस संकट में सोशल मीडिया का रोल
इस संकट में सोशल मीडिया एक नया मोर्चा बनकर उभरा है। WhatsApp ग्रुप, Telegram चैनल और फेसबुक लाइव पर चल रहे ‘डिजिटल आंदोलन’ ने युवाओं को सड़कों पर ला दिया। हैशटैग #March To Cantonment और #BangladeshOnFire शुक्रवार दोपहर तक ट्रेंड कर रहे थे।
बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता की गिरफ्त में
बहरहाल बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की गिरफ्त में है। यूनुस का अगला कदम क्या होगा-यह आने वाले कुछ दिनों में देश की दिशा तय कर सकता है। सभी की नजर अब ढाका की सड़कों और सेना मुख्यालय पर टिकी है।