इंसानों का सीधा दखल नहीं, फिर भी सांसत में जान
सबसे हैरानी की बात यह थी कि यह मानव गतिविधियों से अछूते जंगलों में हो रहा था। आमतौर पर यूरोप और उत्तरी अमरीका में पक्षियों की गिरती आबादी को शहरीकरण, कृषि विस्तार, और प्रदूषण से जोड़ा जाता है। लेकिन अन्य संरक्षित जंगलों में कोई खेत नहीं, कोई फैक्ट्री नहीं, कोई बिल्ली तक नहीं-फिर भी वहां पक्षी मर रहे हैं। वैज्ञानिक इसे एक ‘गूढ़ संकट’ मान रहे हैं, जिसके तार जलवायु परिवर्तन, भोजन शृंखला में किसी बदलाव या ईकोसिस्टम में सूक्ष्म स्तर पर हो रहे टूट-फूट का असर शामिल है।
तीन दशकों से अधिक समय तक हुई तीन स्टडी
– पनामा (44 साल का अध्ययन): 57 प्रजातियों में से 70% पक्षियों की आबादी घटी। जिनमें से 88% की संख्या आधी या उससे भी कम रह गई। – इक्वाडोर (22 साल का अध्ययन): संरक्षित अमेजन जंगल में पक्षियों की संख्या आधी हो गई, जिनमें कीटभक्षी पक्षी सबसे अधिक प्रभावित हुए। – ब्राजील (35 साल का अध्ययन): 79 में से 50% प्रजातियां गिरावट में, यहां भी कीटभक्षी पक्षी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।