Explainer: कश्मीर पर हमले में इजराइल का नाम और पाकिस्तान की चौतरफा शतरंजी चाल !
Israel Involvement in Kashmir Attack: पाकिस्तान ने कश्मीर में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत पर इज़राइल की सैन्य मदद लेने का आरोप लगाया है। पेश है इस मुद्दे पर एम आई जाहिर की स्पेशल रिपोर्ट:
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत पर इज़राइल की मदद लेने का आरोप लगा कर चाल चली है।( फोटो:ANI)
Israel Involvement in Kashmir Attack: आग परबत पर लगाई जाएगी, ध्यान बस्ती से हटाया जाएगा। एक शायर का यह शेर आतंकिस्तान बन चुके पाकिस्तान की नीयत और शतरंजी चालों पर सटीक चरितार्थ हो रहा है। कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह से आपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) सैन्य अभियान चलाया है, और जिस तरह भारत ने दुनिया के सामने उसे बेनकाब किया है, उससे पाकिस्तान बौखला गया है। उसके समझ में नहीं आ रहा है कि इसका क्या तोड़ निकाला जाए। कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत के तेज़तर्रार सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान ने इजराइल का नाम घसीटते हुए एक नया प्रोपेगंडा लॉन्च किया है। वह अपनी अनर्गल बयानबाजी से दुनिया का इस बात से ध्यान हटाना चाह रहा है कि वह गलत है। जबकि भारत ऑपरेशन सिन्दूर (Israel in Kashmir conflict) को तर्कसंगत,तर्कसम्मत और विश्वसम्मत बताने और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की मुहिम चला रहा है।
भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दुनिया को यह संदेश दिया है कि यह आतंकवाद को पोषित करने वाला देश है, जिससे पाकिस्तान बेनकाब हो गया है। वह विश्व समुदाय का ध्यान भटकाने के लिए ऐसे पासे फेंक रहा है, ताकि दुनिया को भारत के खिलाफ किया जा सके। इस बौखलाहट में वह शतरंज की चालें चल रहा है। पाकिस्तान ने जून के पहले सप्ताह में मनाए जाने वाले ईदुल जुहा के त्योहार से पहले भारत को इज़राइल से जोड़ कर ऐसा पासा फेंका है कि न केवल उसकी चौतरफा चाल सामने आ गई है, बल्कि उसकी नीयत और काले इरादों का भी खुलासा हो गया है।
बात जब इजराइल की हो तो इसके मायने बदल जाते हैं
अब आप वह बयान समझें, जिससे आग लगाने की कोशिश की गई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को इस्लामाबाद में संवाददाताओं के सामने बयान दिया है कि भारत ने आपरेशन सिंदूर के दौरान इजराइल की मदद ली है। उसका यह भी कहना है कि भारत ने कश्मीर पर हमले के लिए इजराइल के डिफेंस एक्सपर्ट का इस्तेमाल किया है। इसे यूं समझें कि आम तौर पर एक देश दूसरे देश की सैन्य मदद करता है। यह न कोई नई बात नहीं है,लेकिन बात जब इजराइल की हो तो इसके मायने बदल जाते हैं। ध्यान रहे कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हिन्दुस्तान के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य मदद करने पर तुर्की पर आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। ऐसे में पाकिस्तान यह भी बताना चाहता है कि अगर तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान की मदद की तो क्या हुआ? भारत ने भी तो इजराइल की मदद से उस पर हमला किया है।
मस्जिदे-अक्सा फिलिस्तीन में, उस फिलिस्तीन पर इजराइल का कब्जा
यह बात तो पूरी दुनिया को पता है कि सारे इस्लामी देश और भारत सहित कई देशों के मुसलमान इजराइल को साफ तौर पर अपना दुश्मन समझते हैं और इसकी वजह यह है कि मुसलमानों की मक्का और मदीने के बाद तीसरी सबसे अहम मस्जिद मस्जिदे-अक्सा फिलिस्तीन में है और उस फिलिस्तीन पर इजराइल का कब्जा है। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच झगड़े की असल वजह भी यही है। नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और यासर अराफात के समय से कांग्रेस भी इस मुददे पर मुसलमानों के साथ नजर आती है।
पाकिस्तान तो यही कहना चाहता है(Operation Sindoor and Israel)
ऐसे में इस बयान के कई मतलब निकलते हैं। भारत, भारतीय मुसलमानों, मुस्लिम देशों और विश्व समुदाय की नजर में यह आग लगाने वाला बयान है। वजह यह है कि शहबाज शरीफ ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इज़राइली एक्सपर्ट भारत पहुंचे थे। उनका यह भी कहना है कि इज़राइल ने भारत की खुल कर सैन्य मदद की और दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले इज़राइल के 150 प्रशिक्षित एक्सपर्ट भारत पहुंचे और भारत ने श्रीनगर समेत कई अन्य स्थानों पर इज़राइली हथियारों का इस्तेमाल किया। ध्यान दें श्रीनगर यानि कश्मीर। इसका मतलब क्या भारत ने अपने ही नागरिकों पर हमला किया ? पाकिस्तान तो यही कहना चाहता है।
ऐसा कर के वह भारत को बुरा बनाने का यह मौका नहीं चूकना चाहता
दरअसल इज़राइल वह देश है, जिसने गाजा को तबाह कर दिया है और संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के प्रमुख टॉम फ्लेचर ने कुछ दिनों पहले ही चेतावनी दी है कि यदि ग़ाज़ा को तत्काल मानवीय सहायता नहीं पहुंची, तो अगले 48 घंटों में 14,000 से अधिक बच्चे मर सकते हैं। वहीं इजराइल के दक्षिणपंथी नेता और पूर्व सांसद मोशे फेगलिन का भी कहना है, गाजा के हर बच्चे को खत्म करना होगा, हर बच्चा हमारा दुश्मन है। ये दो मिसालें देने का मकसद यह है कि पाकिस्तान यह बताना चाहता है कि जो इजराइल इतना क्रूर है, जो गाजा में नाकाबंदी कर के राहत और खाने पीने का सामान गाजा में नहीं जाने दे रहा है और बेकुसूर लोगों पर जुल्म कर रहा है, भारत उस इजराइल से मदद ले रहा है। ऐसा कर के वह भारत को बुरा बनाने का यह मौका नहीं चूकना चाहता।
ब्रिटेन ने इजराइल पर व्यापारिक प्रतिबंध लगाए , भारत सैन्य मदद ले रहा
पाकिस्तान के नजरिये से इसका एक अर्थ यह भी है कि इजराइल की इस क्रूरता के खिलाफ ब्रिटेन ने जिस इजराइल पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा दिए हैं, भारत उस इजराइल से सैन्य मदद ले रहा है। यानि उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के खिलाफ करने का पासा भी फेंका है। पाकिस्तान के दुष्प्रचार के अनुसार भारत फिलिस्तीन विरोधी मुल्क है। वह इस आरोप के माध्यम से यह भी बताना चाहता है कि भारत मुस्लिम और इस्लाम विरोधी देश है। इस तरह से पाकिस्तान का यह बयान न केवल विश्व समुदाय,बल्कि भारत और भारतीय मुसलमानों अपने ही देश के खिलाफ करने की भी नापाक चाल है।
मोदी विरोध से सरकार समर्थक मोड में आ गए हैं ओवैसी
अब जरा इसे यूं समझें कि पाकिस्तान कश्मीर मुददे का तो बरसों से अंतरराष्टीयकरण करता रहा है। उसका यह भी आरोप रहा है कि भारतीय सेना कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार करती है। अपने इस दावे का पुख्ता करने के लिए उसने यह पासा फेंका है कि जिस भारत की ओर से भारत सरकार के प्रतिनिधि बन कर विपक्षी नेता थरूर और ओवैसी विदेशों में भारत का पक्ष रखने वाले हैं, वह उसकी नजर में भारत तो क्रूर इज़राइल के माध्यम से कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार करवा रहा है। तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि पाकिस्तान ने वक्फ संशोधन विधेयक पर भारत सरकार का खुल कर विरोध करने वाले नेताओं के मुंह बंद करने की चाल चली है और उन्हें उकसाने वाला काम किया है। क्यों कि ओवैसी के सुर बदले हुए हैं, वे मोदी सरकार विरोध से सरकार समर्थक मोड में आ गए हैं। इसलिए वह चाहता है कि कश्मीर, इजराइल और वक्फ के बहाने भारतीय मुसलमान सरकार के खिलाफ हो जाएं।
ओवैसी ने संसद में ‘जय फिलिस्तीन ‘ का नारा लगाया था
इस बयान का एक मतलब और है, वह यह है कि यह बयान भारत की ओर से विदेश जा रहे उस विदेशी प्रतिनिधिमंडल की वैश्विक यात्रा के समय आया है, जब विपक्ष की ओर से कांग्रेस के शीर्ष बौद्धिक नेता थरूर और हैदराबाद दक्कन के तेजतर्रार नेता असदुद्दीन ओवैसी उस सरकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं। ये वही ओवैसी हैं जिन्होंने भारतीय संसद में ‘जय फिलिस्तीन ‘ का नारा लगाया था तो प्रियंका गांधी ‘फिलिस्तीन’ लिखा बैग अपने कंधे पर टांग कर संसद पहुंची थीं। यानि कांग्रेस और विपक्ष फिलिस्तीन समर्थक हैं।
थरूर और ओवैसी इस्लामी देशों में भारत का बचाव कैसे करेंगे ?
इन मिसालों का मतलब यह है कि पाकिस्तान दुनिया को यह बताना चाहता है कि भारत उस इजराइल की मदद से हमले कर रहा है, जो न केवल मुस्लिम दुश्मन है, बल्कि ‘मस्जिदे-अक्सा’ पर कब्जा करने वाले देश का समर्थक भी है। इस तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत के मुसलमानों को अपने ही देश के खिलाफ भड़काने की कोशिश की है। ऐसे में सवाल यह है कि अब ओवैसी पाकिस्तान के इस प्रभावी दुष्प्रचार के जवाब में विदेशों विशेषकर इस्लामी देशों में भारत का बचाव कैसे करेंगे ?
पाकिस्तान भारत के प्रतिनिधिमंडल के मजे लेना चाहता है
पाकिस्तान मजे लेना चाहता है कि अब भारत में मोदी विरोधी और फिलिस्तीन समर्थक कांग्रेस के साथ ही मुसलमानों की आवाज और अब मोदी सरकार समर्थक ओवैसी भारत सरकार के प्रतिनिधिमंडल के विदेशी दौरे के दौरान में किस मुंह से भारत को इस्लामी देशों और मुसलमानों का समर्थक बता पाएंगे ?
बयान का ईद कनेक्शन भी एक बिग फैक्टर
पाकिस्तान ने भारत के मुसलमानों को ईदुल जुहा से पहले अपने ही देश के खिलाफ भड़काने की चाल चली है, क्यों कि आपरेशन सिंदूर के समय भारतीय मुसलमानों ने देश का साथ दिया है और ओवैसी ने तो पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे भी लगाए थे, यानि जिस देश के लिए भारत सरकार की ओर से भारतीय मुसलमान नेता विदेशी दौरे पर जा रहे हैं, उसकी नजर में वह देश तो मुस्लिम विरोधी देश इजराइल के साथ है। बहरहाल भारत और भारतीय मुसलमानों के खिलाफ शहबाज की यह चाल न तो निष्प्रभावी है और न मामूली है। ऐसे में भारतीय मुसलमान का इस उकसावे में न आना ही भारत की जीत होगी।
अब बॉल मोदी,जयशंकर के साथ शशि थरूर और ओवैसी के पाले में
दुनिया का सिनेरियो ऐसा है कि गाजा के कारण विश्व समुदाय इजराइल के खिलाफ हो गया है और ऐसे समय में शहबाज ने यह बयान दे कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत को अलग थलग करने का पासा फेंका है। पाकिस्तान ने इस चाल भरे बयान में भारत को यह बताया है कि दुश्मन का दोस्त आपका हिमायती कैसे है? अब बॉल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ ही शशि थरूर और ओवैसी के पाले में भी है। देखना यह है कि भारत का प्रतिनिधिमंडल विदेशों के समक्ष भारत का पक्ष कितनी मजबूती से रख पाएगा और पाकिस्तान के प्रोपेगंडा का किस हद तक और कैसा जवाब दे पाएगा।
भारत की सैन्य कार्रवाई में इजराइल की कोई निर्णायक भूमिका नहीं
वरिष्ठ पत्रकार और भारत पाक संबंधों के जानकार चंद्रभूषण ने संपर्क करने पर कहा कि शहबाज शरीफ के इस बयान से ऐसा लग रहा है कि दोनों देशों के बीच सीजफायर तो हुआ है, लेकिन सीजफायर की भावना नहीं दिखाई दे रही है और यह टकराव का रास्ता है। दुनिया यह जानती है कि इजराइल-फिलिस्तीन टकराव में भारत का रुख हमेशा से फिलिस्तीन के राष्ट्रवाद का समर्थन करने का रहा है, लेकिन इजराइल का विरोध करने का रुख नहीं रहा। दरअसल भारत का एक भी बयान फिलिस्तीन के राष्ट्रवाद के खिलाफ नहीं गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने उस आतंकी कार्रवाई की निंदा जरूर की, जिसके तहत सन 2023 में 1200 निर्दोष नागरिकों और विदेशी पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया गया था और 200 लोगों को बंधक बना लिया गया था। भारत और इजराइल में अच्छी मैत्री है, लेकिन भारत की मौजूदा सैन्य कार्रवाई में उसकी कोई निर्णायक भूमिका नहीं रही।
पाकिस्तान की यह ‘डिप्लोमैटिक ब्लिट्जक्रिग’ ज्यादा दिन नहीं टिकेगी
बहरहाल यह पाकिस्तान का इंटरनेशनल गेमप्लान है और वह कश्मीर, ऑपरेशन सिंदूर और इजराइल का नाम ले कर अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान की यह ‘डिप्लोमैटिक ब्लिट्जक्रिग’ ज्यादा दिन नहीं टिकेगी।अगर भारत शांति, तर्क और सच्चाई से अपनी बात दुनिया के सामने रखता है तो पाकिस्तान के ये नापाक मंसूबे नाकाम हो जाएंगे। अब ज़िम्मेदारी सरकार की ही नहीं, भारत की ओर से विदेश जा रहे प्रतिनिधिमंडल के हर सदस्य की है।