17 फरवरी को होगी दोनों प्रमुखों की बैठक
इस मुद्दे पर भारत के विदेश मंत्रालय (MEA, India) ने भी बयान दिया था। विदेश मंत्रालय की तरफ से प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बीते शुक्रवार को कहा था कि 17 फरवरी 2025 को BSF औऱ BGB (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच महानिदेशक स्तर की बातचीत होगी। जिसमें भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा पर हुए समझौतों, सहमतियों के आधार पर ही फैसला लिया जाएगा। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले हफ़्ते कूचबिहार के कुचलीबाड़ी के झिकाबाड़ी इलाके में बांग्लादेश की तरफ से दो मकान बनाए जा रहे थे। जिसका BSF ने विरोध किया था, जिसके बाद बार्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने इसे रोक दिया। अब BSF बांग्लादेश सीमा पर निगरानी रख रही है और बांग्लादेश की तरफ से हो रहे अवैध निर्माण और तस्करी को रोक रही है।
बांग्लादेश सीमा पर क्यों कर रहा है अवैध निर्माण
दरअसल 5 अगस्त 2024 के बाद से ही बांग्लादेश की तरफ से सीमा पर अवैध गतिविधियां की जा रही हैं। जिस दिन बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को छात्र आंदोलन के चलते अपदस्थ कर दिया गया था, तब से बांग्लादेश और भारत, दोनों सेनाओं के बीच निर्माण कार्यों, BSF कर्मियों पर हमलों और अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामलों को लेकर गतिरोध बना हुआ है। दऱअसल बांग्लादेश का कहना है कि भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा को लेकर जो समझौते हुए हैं, उसका भारत ने ही उल्लंघन किया है। शेख हसीना सरकार की तरफ से भारत को समझौते में छू़ट दे दी गई वो समझौते के खिलाफ है। बांग्लादेश की सीमा पर भारत ने जो कंटीली बाड़ लगाई है वो भी अनाधिकृत है, अवैध है।
अभी कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने ये बयान जारी किया था कि भारत कंटीली बाड़ लगाने का जो काम कर रहा है वो अवैध है। बांग्लादेश ने तब भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को भी तलब किया था। तब प्रणय वर्मा ने ये कहा था कि बांग्लादेश सीमा पर बाड़ सुरक्षा के लिहाज से लगाई जा रही है जिसकी बांग्लादेश सरकार से सहमति भी ली गई थी। इसे लेकर BSF और BGB (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच बातचीत हो रही है।
भारत बांग्लादेश सीमा समझौता क्या है?
भारत और बांग्लादेश, दोनों देश लगभग 4,096.7 किमी लंबी भूमि सीमा साझा करते हैं। बता दें कि 1947 में भारत का जब बंटवारा हुआ था, तब रेडक्लिफ लाइन भारत और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के बीच की सीमा बन गई थी। वहीं जब 1971 में बांग्लादेश आज़ाद हुआ, तब यही रेखा भारत और बांग्लादेश का बॉर्डर बन गया। लेकिन इससे पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच बॉर्डर का सीमांकन करने में कई परेशानियां आई थीं, जिससे ये काम बहुत धीमे हुआ। ये समस्या तब बांग्लादेश के हिस्से में आ गई जब, पूर्वी पाकिस्तान आज़ाद हुआ। इन समस्याओं को 1958 में नेहरू-नूने समझौते के जरिए सुलझाने की कोशिश भी हुई थी। लेकिन पाकिस्तान की दुश्मनीपूर्ण हरकतों के चलते ये विवाद इतिहास और खंडित राजनीति से विरासत में मिल गया। हालांकि बावजूद इसके 1974 में भारत और बांग्लादेश ने सीमा को लेकर कई समझौते करने में सफल रहे थे लेकिन 3 मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई थी, इन्हें छोड़कर ही इस सहमति को लागू किया था। ये मुद्दे हैं-
1- तीन क्षेत्रों में लगभग 6.1 किलोमीटर की अनिर्धारित भूमि सीमा यानी दाइखाता-56 (पश्चिम बंगाल) एन्क्लेव का आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्जे 2- मुहुरी नदी-बेलोनिया (त्रिपुरा) एन्क्लेव का आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्जे 3- लाठीटीला-दुमाबारी (असम) एन्क्लेव का आदान-प्रदान और प्रतिकूल कब्जे
वहीं बांग्लादेश के दहाग्राम और अंगारपोर्टा एन्क्लेव के संबंध में, 1974 के LBA के अनुच्छेद 1(14) में तीन बीघा के पास 178 मीटर x 85 मीटर के इलाके को स्थायी रूप से पट्टे पर देकर इन एन्क्लेव तक पहुंच का प्रावधान है। इसे 7 अक्टूबर, 1982 को भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री और बांग्लादेश के तत्कालीन विदेश मंत्री के बीच और 26 मार्च, 1992 को भारत के विदेश सचिव और बांग्लादेश के अतिरिक्त विदेश सचिव के जरिए लागू किया गया था। इसलिए भारत 150 गज के दायरे में बांग्लादेश के निर्माण को अवैध बताकर उसे बंद करवा रहा है, लेकिन बांग्लादेश इसका विरोध कर रहा है।