लोगों को धोखा देने के लिए चैरिटी कार्यक्रम आयोजति किए
इनके इस धोखे से कई लोग आर्थिक रूप से तनाव में आ गए है। अभियोजकों के अनुसार, लोगों का विश्वास जीतने के लिए इन दोनों पती पत्नि ने एक बहुत ही लैविश लाइफस्टाइल जीने का दिखावा किया। वह कई बार चैरिटी कार्यक्रम का आयोजन भी करते थे और सबके सामने अपने आप को एक सफल व्यवसायी के रूप में पेश करते थे। हालांकि, यह सार्वजनिक छवि वह सिर्फ अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए एक दिखावे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे।
ऊंचे रिटर्न का लालच देकर ठगा
दंपति द्वारा ठगे गए लोगों का कहना है कि नकली रियल एस्टेट सौदों को उनके सामने असली की तरह पेश किया गया। उन्हें ऊंचे रिटर्न का लालच देकर इनमें निवेश करने के लिए कहा गया। हालांकि बाद में निवेशकों को मिले डिविडेंड के चेक बाउंस होने लगे जिसके बाद उनके मन में शक पैदा हुआ और फिर धीरे धीरे इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
पुलिस ने शुरुआत में मामला दर्ज करने से किया मना
शुरुआत में कई पुलिस विभागों ने मामले को आपसी झगड़ा बताते हुए शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया। लेकिन फिर धोखाधड़ी और आर्थिक घोटालों की जांच में माहिर यूलेस पुलिस के जासूस ब्रायन ब्रेनन ने इस मामले की जांच शुरु की। 2024 में एक दम्पति ने ब्रेनन से संपर्क किया इस धोखाधड़ी मामले में 325,000 डॉलर (लगभग 2.7 करोड़ रुपये) गंवा चुके थे। इसके बाद ब्रेनन से इस मामले की जांच शुरु की और एक के बाद एक पीड़ितों का खुलासा होने लगा।
कैसे हुआ मामले का खुलासा
मुखर्जी दंपत्ति पर आरोप था कि उन्होंने डलास हाउसिंग अथॉरिटी के फर्जी रीमॉडलिंग कॉन्ट्रैक्ट और चालान दिखाकर लोगों से कई प्रोजेक्ट्स में निवेश करवाया था। लेकिन जब ब्रेनन ने डलास हाउसिंग अथॉरिटी को संपर्क किया तो उन्हें पता चला कि ऐसा कोई प्रोजेक्ट वास्तव में है ही नहीं। हलफनामे के अनुसार, मुखर्जी दंपत्ति ने कथित तौर पर निवेशकों को धोखा देने के लिए कागजी कार्रवाई, रसीदें और ईमेल पत्राचार जैसे जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।
फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन के हाथों में आया मामला
इस बात का खुलासा होने पर जांचकर्ताओं को विश्वास था कि यह धोखाधड़ी सिर्फ एक सौदे तक सीमित नहीं हो सकती है। इसके चलते मामले की गहन जांच शुरु हुई और फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को इसमें शामिल किया गया। एफबीआई ने मामले की जांच की और इस पूरे फ्रॉड का खुलासा किया। जांच के दौरान दंपती द्वारा ठगे 20 पीड़ितों की पुष्टि की गई जबकि एफबीआई का अनुमान है कि पीड़ितों की संख्या 100 तक हो सकती है।
गिरफ्तारी के बाद अब क्या
500,000 डॉलर (लगभग 4 करोड़ रुपये) का बॉन्ड भरने के बाद, सैमी और सुनीता को अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन ने हिरासत में ले लिया। उन्हें फिलहाल फोर्ट वर्थ के पास एक हिरासत सुविधा केंद्र में रखा गया है। दोनों को फर्स्ट-डिग्री गुंडागर्दी की चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अमेरिकी कानून के अनुसार, इस आरोप के दोषियों को 5 से 99 साल तक की जेल हो सकती है। बता दे कि, कथित तौर पर भारत से
सम्मी के खिलाफ भारत में भी वारंट लंबित
अमेरिका में शरण लेने आए इस दंपती की अप्रवासन स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। रिकॉर्ड के अनुसार, सम्मी मुखर्जी के खिलाफ मुंबई में धोखाधड़ी के वारंट लंबित हैं। पहले संपर्क किए जाने पर सम्मी ने इन आरोपों से इनकार किया था, उनका कहना था कि यह सब उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा रहा है।