scriptक्या ईरान की बढ़ती सैन्य शक्ति के कारण अमेरिका उससे परमाणु वार्ता करने पर मजबूर हुआ ? बुकेले से मिले ट्रंप | Nuclear deal: Was America forced to enter into nuclear talks with Iran due to its increasing military power? | Patrika News
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क्या ईरान की बढ़ती सैन्य शक्ति के कारण अमेरिका उससे परमाणु वार्ता करने पर मजबूर हुआ ? बुकेले से मिले ट्रंप

Iran nuclear deal:अमेरिका और ईरान के रिश्तों में कड़वाहट रही है और ईरान अमेरिका को गांठता ही नहीं है। यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों से न डरते हुए ईरान ने उसे दो टूक जवाब दिए हैं। यूएस यह भी मानता है कि ईरान एक सैन्य परमाणु शक्ति है।

भारतApr 14, 2025 / 09:17 pm

M I Zahir

Iran Nuclear Deal

Iran Nuclear Deal

Iran nuclear deal: ईरान ने दावा किया है कि उसकी बढ़ती सैन्य शक्ति ने अमेरिका को परमाणु वार्ता पर लौटने के लिए मजबूर किया है। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) ने अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति बुकेले से मिल कर (Trump El Salvador relations) दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत किए, हालांकि जेलों में मानवाधिकारों का उल्लंघन करने पर विवाद अब भी जारी है। ईरान ने दावा किया है कि उसकी सैन्य शक्ति (Iran military power) में वृद्धि के कारण अमेरिका को परमाणु हथियारों पर बातचीत ( Iran nuclear talks) करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। ध्यान रहे कि इस मामले में अमेरिका की अब तक की नीति यह रही है कि दुनिया में कोई भी देश उससे बड़ी शक्ति न रहे और खाड़ी देशों के तेल भंडार वाले देश उसकी हां में हो मिलाते रहें।

ईरान किसी भी प्रकार के बाहरी खतरे का उचित और निर्णायक जवाब देगा

ईरान के इस्लामिक रिवोल्युशनरी गार्ड कोर (IRGC) के एक वरिष्ठ कमांडर, ब्रिगेडियर जनरल इराज मसजेदी ने कहा है कि ईरान की सामरिक व परमाणु शक्ति ने अमेरिका को वार्ता की मेज पर वापस जाने के लिए प्रेरित किया (US military strategy)। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान किसी भी प्रकार के बाहरी खतरे का उचित और निर्णायक जवाब देगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि ईरान अमेरिका से प्रतिबंधों में राहत, जमी हुई संपत्तियों तक पहुंच और चीनी तेल खरीदारों पर दबाव खत्म करने की मांग कर रहा है।

अमेरिका से देश निकाला के सवालों के बीच ट्रंप साल्वाडोर के राष्ट्रपति से मिले

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले से मुलाकात की। इस दौरान राष्ट्रपति बुकेले की तारीफ की गई थी, खासकर उनके प्रशासन की ओर से अपने देश की जेल प्रणाली को गिरोह के सदस्यों और अपराधियों के लिए खोलने के कारण उनकी प्रशंसा की गई। ट्रंप ने अपने प्रशासन की ओर से 1798 के विदेशी शत्रु अधिनियम के तहत वेनेजुएला के सैकड़ों नागरिकों को अल साल्वाडोर निर्वासित करने का फैसला लिया, जिसमें एक अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे, जिसे गलती से निर्वासित किया गया था।

इसलिए वे आलोचकों के निशाने पर हैं

ध्यान रहे कि जब जनवरी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी आव्रजन नीति में सुधार का वादा किया था, तब अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले की रणनीति ने उन्हें एक समान विचारधारा का पार्टनर बना दिया था। अल साल्वाडोर अमेरिका से वापसी किए गए प्रवासियों को एक उच्च सुरक्षा वाली जेल में रखते हैं, इसलिए वे आलोचकों के निशाने पर हैं। इन आलोचनाओं के बावजूद, ट्रंप ने बुकेले के काम की सराहना करते हुए कहा कि वे अमेरिकी सरकार के लिए कई समस्याओं का समाधान कर रहे हैं, जिन्हें अमेरिका अपनी सीमा के भीतर हल नहीं कर सका।

बुकेले ने साल्वाडोर में अपराधियों को न्याय दिलाने में उनकी मदद की : ट्रंप

ट्रंप ने रविवार को कहा था, “मुझे लगता है कि वे शानदार काम कर रहे हैं। वे हमारी समस्याओं को कम लागत में हल करने में सक्षम हैं।” उनके अनुसार, बुकेले ने अल साल्वाडोर में कुछ “बहुत बुरे” अपराधियों को न्याय दिलाने में उनकी मदद की है, जिनमें हत्या करने वाले और ड्रग डीलर शामिल हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें अल साल्वाडोर की जेलों में मानवाधिकारों के उल्लंघन की कोई चिंता नहीं है।

मानवाधिकारों की चिंता और गहराता विवाद

हालांकि, इन कदमों को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है। अल साल्वाडोर में जेलों में बंद प्रवासियों के वकील और रिश्तेदारों का कहना है कि उन्हें गिरोह से जुड़ा हुआ होने का झूठा आरोप लगाया गया है और उनके पास अमेरिकी सरकार के आरोपों को चुनौती देने का कोई मौका नहीं था। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इन प्रवासियों की पूरी जांच की गई है और यह सुनिश्चित किया गया है कि वे एक संदिग्ध आतंकवादी संगठन “ट्रेन डे अरागुआ” से जुड़े थे।

अमेरिकी अदालत ने गार्सिया को वापस लाने का आदेश दिया

इस बीच, एक अमेरिकी न्यायाधीश के आदेश के बाद, एक निर्वासित व्यक्ति—किल्मर अब्रेगो गार्सिया—को अल साल्वाडोर में विशेष रूप से कुख्यात आतंकवाद जेल में भेजा गया था, लेकिन अमेरिकी अदालत ने गार्सिया को वापस लाने का आदेश दिया। ट्रंप प्रशासन ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट निर्देश देता है, तो वे गार्सिया को वापस लाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासन को ऐसा करने का कोई कानूनी दायित्व नहीं है।

बुकेले का ‘कठिन’ लेकिन प्रभावी तरीका

अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति बुकेले ने सोशल मीडिया पर यह बयान दिया, “बहुत देर हो चुकी है,” जब न्यायिक आदेश ने इन प्रवासियों की वापसी को लेकर सवाल उठाए थे। उन्होंने रात के अंधेरे में जेल से इन लोगों को बाहर उतारे जाने के फुटेज भी साझा किए। यह स्थिति दोनों देशों के लिए एक नई राजनीतिक दिशा की ओर इशारा करती है, जिसमें सुरक्षा और सीमा नियंत्रण को प्राथमिकता दी जा रही है, लेकिन मानवाधिकार उल्लंघन की संभावना को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। बहरहाल यह घटना इस बात का संकेत देती है कि ट्रंप और बुकेले का गठबंधन अमेरिकी प्रवास नीति में और कड़े कदमों की ओर बढ़ सकता है, जिससे नये हालात पैदा हो सकते हैं।

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