अभियानों के कारण ‘डंकी रूट’बनाया जा रहा
जानकारी के मुताबिक अवैध प्रवासी नकली सीमैन बुक्स का उपयोग करके समुद्री यात्राओं के पक्ष में रेगिस्तानों और जंगलों के माध्यम से खतरनाक ” छोड़ रहे हैं। एक समय मध्य अमेरिका के माध्यम से यूएस में प्रवेश करने वाले गैर-दस्तावेज प्रवासियों के लिए कुख्यात मार्ग, बढ़ती सीमा सुरक्षा और तस्करी विरोधी अभियानों के कारण ‘डंकी रूट’बनाया जा रहा है।
समुद्री मार्गों को चुन रहे ‘डंकी’
मानव तस्करी पर नज़र रखने वाले जांचक अधिकारियों ने समुद्री मार्गों को चुनने वाले भारतीय प्रवासियों की इस बढ़ती प्रवृत्ति को रिपोर्ट किया है, जो नाविक के रूप में नकली सीमैन बुक्स का उपयोग करते हैं। ये जाली दस्तावेज़ व्यक्तियों को व्यापारी नाविक या मछुआरे के रूप में प्रस्तुत कर के भूमि सीमाओं को बायपास करने और अज्ञात यात्रा करने की अनुमति देते हैं, वे अंतरराष्ट्रीय जल और संभावित रूप से अमेरिकी समुद्र तट तक पहुंच उपलब्ध करवाते हैं।
मछलियां पकड़ने वाले शिप का इस्तेमाल
जेनुइन सीमैन की किताबें विशेष रूप से समुद्री श्रमिकों, जैसे मर्चेंट नेवी कर्मियों, क्रूज़ लाइन स्टाफ और मछुआरों के लिए जारी की जाती हैं। हालांकि, आकर्षक समुद्री उद्योग अवैध गतिविधि का केंद्र बन गया है। नकली दस्तावेज़ तस्करों को उन जहाजों के लिए चालक दल की भर्ती करने में सक्षम बना रहे हैं, जो लंबे समय तक समुद्र में रहते हैं, जिससे अक्सर प्रवासी किनारे पर कदम रखे बिना ही फंसे रह जाते हैं। ध्यान रहे कि प्रवासी तस्करी में शामिल संगठित अपराध समूहों ने लोगों के परिवहन के लिए मछलियां पकड़ने वाले शिप का इस्तेमाल किया है।
आव्रजन चौकियों या एयरलाइन काउंटरों पर पकड़े जाते हैं ऐसे ‘डंकी’
दिल्ली पुलिस ने पिछले साल तस्करी के उस तरीके का खुलासा किया था, जब हवाई अड्डे के अधिकारियों ने नकली सीमैन बुक्स का उपयोग कर के प्रवासियों की तस्करी करने वाले पांच एजेंटों को गिरफ्तार किया था। इस मार्ग में कतर और इस्तांबुल के माध्यम से मैक्सिको की यात्रा भी शामिल थी। जहां कुछ प्रवासी समुद्र में चले जाते हैं, वहीं अन्य नकली अमेरिकी वीजा की पेशकश करने वाले एजेंटों के शिकार बन जाते हैं। यह जालसाज़ी अक्सर वास्तविक वीज़ा से मिलती-जुलती होती हैं और ऐसा यात्रियों और आव्रजन अधिकारियों को धोखा देने के लिए किया जाता है। हालाँकि, कई भारतीय प्रवासियों को आव्रजन चौकियों या एयरलाइन काउंटरों पर पकड़ लिया जाता है।
जब जवान जयेश पटेल बना बुजुर्ग अमरीकसिंह
आईजीआई हवाईअड्डा पुलिस ने 2024 में अवैध प्रवासन नेटवर्क की बढ़ती जटिलता उजागर करते हुए, इन तस्करी योजनाओं में शामिल 71 एजेंटों को गिरफ्तार किया है। दूसरा तरीका जो लोग अपनाते हैं वह है भेस बदलकर यात्रा करना। इसकी एक मिसाल देखें कि सन 2019 में, 32 वर्षीय जयेश पटेल ने दिल्ली हवाई अड्डे से न्यूयॉर्क (Illegal immigration to America) के लिए उड़ान भरने के लिए रंगी हुई सफेद दाढ़ी और पगड़ी के साथ खुद को 81 वर्षीय अमरीकसिंह के रूप में दिखाया। नकली प्रिस्क्रिप्शन चश्मा पहन कर और नकली पासपोर्ट लेकर वह सुरक्षा जांच के लिए पहुंच गया।
हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां पहना कर भारत भेज सकता है यूएस
बहरहाल कई एजेंट पासपोर्ट में नकली आव्रजन टिकट लगा कर संपूर्ण यात्रा इतिहास भी बनाते हैं, जिससे यात्रियों को उनके आवेदनों को मंजूरी देने के लिए वीजा अधिकारियों को धोखा देने की अनुमति मिलती है। ये यात्री अक्सर अपनी प्रारंभिक यात्रा के लिए किसी और के पासपोर्ट का उपयोग करते हैं, इसलिए उनकी रवानगी का आव्रजन प्रणाली के रिकॉर्ड में इंद्राज नहीं होता है। ऐसे में गरीब भारतीयों का ‘डंकी’ बन कर नये ‘डंकी रूट’ से जाने का यह सिलसिला उनके लिए अमेरिका से सेना के विमान के माध्यम से हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां पहना कर भारत भेजने का कारण बन सकता है।