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ट्रंप का बड़ा ऐलान: विदेशी स्टील और एल्युमीनियम पर 50% टैरिफ, प्लान B भी बनाया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी स्टील आयात पर टैरिफ 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने पिट्सबर्ग में स्थित यूएस स्टील के मोन वैली वर्क्स-इरविन प्लांट में यह घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका का भविष्य शंघाई के घटिया स्टील पर नहीं है।

भारतMay 31, 2025 / 08:44 am

Shaitan Prajapat

Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिट्सबर्ग के पास यूएस स्टील के मॉन वैली वर्क्स-इरविन प्लांट में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विदेशी स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को दोगुना करने की घोषणा की। अब इन दोनों धातुओं पर आयात शुल्क 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया जाएगा। यह फैसला बुधवार से प्रभावी होगा और इसे ट्रंप की वैश्विक व्यापार नीति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। ट्रंप ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब अमेरिका और चीन के बीच महत्वपूर्ण खनिजों और टेक्नोलॉजी के ट्रेड में तनाव चरम पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका का भविष्य शंघाई की घटिया स्टील पर निर्भर नहीं रहेगा।

अमेरिका को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रंप का स्टील टैरिफ वार

ट्रंप ने कहा कि इस कदम से अमेरिकी स्टील उद्योग को मजबूती मिलेगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना था, यह गौरवशाली अमेरिकी कंपनी, अमेरिकी कंपनी बनी रहेगी। इस कदम के जरिए ट्रंप ने यह संकेत भी दिया कि वे ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत घरेलू उद्योग को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं।

स्टील की कीमतों में लगातार इजाफा

यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका में स्टील की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। जनवरी 2025 में ट्रंप के दोबारा पदभार संभालने के बाद से अब तक स्टील की कीमतों में 16% की वृद्धि दर्ज की गई है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, मार्च 2025 में अमेरिका में स्टील की कीमत 984 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जबकि यूरोप में यह 690 डॉलर और चीन में 392 डॉलर प्रति टन रही।

जापान की निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील में समझौता

इसी दौरान ट्रंप ने जापान की निप्पॉन स्टील द्वारा यूएस स्टील में आंशिक स्वामित्व के अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी है। पहले ट्रंप इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने इसे एक आंशिक स्वामित्व समझौते के रूप में स्वीकार किया है। हालांकि, इस सौदे की पूरी शर्तें अभी सार्वजनिक नहीं की गई हैं। बताया जा रहा है कि इसमें अमेरिकी नेतृत्व वाली बोर्ड और कार्यकारी टीम के साथ एक गोल्डन शेयर की व्यवस्था होगी, जिससे अमेरिका सरकार को अहम निर्णयों पर वीटो का अधिकार मिलेगा।
हालांकि, यूनाइटेड स्टीलवर्कर्स यूनियन ने इस सौदे पर सतर्क प्रतिक्रिया दी है। यूनियन अध्यक्ष डेविड मैककॉल ने कहा कि उन्हें इस विलय के राष्ट्रीय सुरक्षा, कर्मचारियों और समुदायों पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंता है। गौरतलब है कि 2024 में अमेरिका ने जितना स्टील आयात किया, उससे तीन गुना अधिक खुद उत्पादन किया। कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण कोरिया उसके प्रमुख स्टील आपूर्तिकर्ता हैं।
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ट्रंप प्रशासन ने बनाया प्लान-बी

ट्रंप टैरिक के नाम से चर्चित अमेरिका के कथित ‘लिबरेशन डे आयात शुल्क’ को कानूनी चुनौती मिलने के बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने प्लान-बी तैयार कर लिया है। हालांकि, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय से ट्रंप टैरिफ को अवैध करार देने के बाद अपीलीय अदालत से ट्रंप प्रशासन को अस्थायी राहत मिल गई है। अपीलीय अदालत ने व्यापार न्यायालय के फैसले पर फिलहाल विराम लगाते हुए ट्रंप टैरिफ को बहाल कर दिया है। इसके बावजूद ट्रंप प्रशासन ने ‘प्लान बी’ के तहत 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 122 का उपयोग करते हुए 150 दिनों के लिए 15 फीसदी अस्थायी टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इस अस्थायी उपाय से प्रशासन को व्यापार असंतुलन से निपटने के लिए समय मिल जाएगा और इसके बाद धारा 301 के तहत दीर्घकालिक रणनीति अपनाई जाएगी, जो अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देती है।

150 दिन के लिए 15 फीसदी टैरिफ

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप टैरिफ लागू करने का प्लान-बी अधिक टिकाऊ और संवैधानिक रूप से मजबूत है, जिससे अमेरिका को व्यापार वार्ताओं में अपनी स्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी। यदि ट्रंप प्रशासन अपने ‘प्लान बी’ के तहत टैरिफ लागू करता है तो भारत के लिए भी इसके प्रभाव हो सकते हैं। विशेष रूप से वस्त्र, फार्मास्युटिकल्स, आइटी सेवाएं, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों में भारत से अमेरिका को निर्यात पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी निवेशक भारतीय बाजार में सतर्कता बरत सकते हैं, जिससे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव पड़ सकता है।
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हालांकि, अभी तक भारत सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत को अपनी व्यापार रणनीति पर पुनर्विचार करने और संभावित टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए। इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि वैश्विक व्यापार नीतियों में कानूनी और राजनीतिक जटिलताएं बढ़ रही हैं, जिनका प्रभाव भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी पड़ सकता है।

मेरे दक्षिण अफ्रीकी दोस्त मस्क ने किया शानदार कामः ट्रंप

अरबपति कारोबारी एलन मस्क के ट्रंप सरकार से बाहर होने के बाद शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और एलन मस्क ने वाइट हाउस के ओवल ऑफिस में संयुक्त रूप से एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। ट्रंप ने मस्क को यहां दक्षिण अफ्रीका में जन्मे अरबपति के रूप में संबोधित संबोधित किया। ट्रंप ने यहां मस्क की जबर्दस्त सराहना करते हुए कहा, मेरे दोस्त मस्क ने शानदार काम किया है। ट्रंप ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, आज हम एलन नामक एक व्यक्ति के बारे में बात कर रहे हैं, जो दुनिया के सबसे महान इनोवेटर्स में से एक हैं।

मस्क ने बदल दी संघीय कर्मचारियों की मानसिकता

यहां ट्रम्प ने कहा कि, हमारी सरकार कभी-कभी थोड़ी अप्रिय हो सकती है। जिस पर मस्क ने जवाब दिया, हां, कभी-कभी। ट्रम्प ने कहा कि एलन मस्क और उनके सरकारी दक्षता व मितव्ययता विभाग ने ऐसी चीजों से पर्दा हटाया है जो अविश्वसनीय रूप से मूर्खतापूर्ण और अविश्वसनीय रूप से बुरी थीं। इस तरह मस्क ने वाशिंगटन में काम करने के तरीके में ‘बहुत बड़ा बदलाव’ किया है। ट्रंप ने कहा, हर संघीय विभाग में वरिष्ठ अधिकारियों की मानसिकता वास्तव में बदल गई है।

मस्क के धमाकेदार कार्यकाल का अंत

इसी के साथ वाशिंगटन में एलन मस्क का छोटा लेकिन धमाकेदार कार्यकाल शुक्रवार को समाप्त हो गया। मस्क सिर्फ चार महीने तक डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी के प्रमुख रहे, जो संघीय खर्च को कम करने के लिए बनाई गई थी। लेकिन शुरुआत से ही इसकी आक्रामक कटौती और अव्यवस्थित तरीकों के लिए तीखी आलोचना हो रही है। मस्क ने संघीय खर्च में 2 ट्रिलियन डॉलर की कटौती करने का वादा किया था। इसके बजाय, निगरानीकर्ताओं का अनुमान है कि उनकी वास्तविक बचत केवल 12 बिलियन डॉलर से कम ही रही।

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