अमेरिका को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रंप का स्टील टैरिफ वार
ट्रंप ने कहा कि इस कदम से अमेरिकी स्टील उद्योग को मजबूती मिलेगी और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना था, यह गौरवशाली अमेरिकी कंपनी, अमेरिकी कंपनी बनी रहेगी। इस कदम के जरिए ट्रंप ने यह संकेत भी दिया कि वे ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत घरेलू उद्योग को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं।स्टील की कीमतों में लगातार इजाफा
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका में स्टील की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। जनवरी 2025 में ट्रंप के दोबारा पदभार संभालने के बाद से अब तक स्टील की कीमतों में 16% की वृद्धि दर्ज की गई है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के अनुसार, मार्च 2025 में अमेरिका में स्टील की कीमत 984 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जबकि यूरोप में यह 690 डॉलर और चीन में 392 डॉलर प्रति टन रही।जापान की निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील में समझौता
इसी दौरान ट्रंप ने जापान की निप्पॉन स्टील द्वारा यूएस स्टील में आंशिक स्वामित्व के अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी है। पहले ट्रंप इस अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे, लेकिन अब उन्होंने इसे एक आंशिक स्वामित्व समझौते के रूप में स्वीकार किया है। हालांकि, इस सौदे की पूरी शर्तें अभी सार्वजनिक नहीं की गई हैं। बताया जा रहा है कि इसमें अमेरिकी नेतृत्व वाली बोर्ड और कार्यकारी टीम के साथ एक गोल्डन शेयर की व्यवस्था होगी, जिससे अमेरिका सरकार को अहम निर्णयों पर वीटो का अधिकार मिलेगा।नीतीश कुमार से फिर हुई मिस्टेक, इस बार तो पीएम को ही भूल गए बिहार सीएम
ट्रंप प्रशासन ने बनाया प्लान-बी
ट्रंप टैरिक के नाम से चर्चित अमेरिका के कथित ‘लिबरेशन डे आयात शुल्क’ को कानूनी चुनौती मिलने के बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने प्लान-बी तैयार कर लिया है। हालांकि, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय से ट्रंप टैरिफ को अवैध करार देने के बाद अपीलीय अदालत से ट्रंप प्रशासन को अस्थायी राहत मिल गई है। अपीलीय अदालत ने व्यापार न्यायालय के फैसले पर फिलहाल विराम लगाते हुए ट्रंप टैरिफ को बहाल कर दिया है। इसके बावजूद ट्रंप प्रशासन ने ‘प्लान बी’ के तहत 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 122 का उपयोग करते हुए 150 दिनों के लिए 15 फीसदी अस्थायी टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इस अस्थायी उपाय से प्रशासन को व्यापार असंतुलन से निपटने के लिए समय मिल जाएगा और इसके बाद धारा 301 के तहत दीर्घकालिक रणनीति अपनाई जाएगी, जो अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देती है।150 दिन के लिए 15 फीसदी टैरिफ
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप टैरिफ लागू करने का प्लान-बी अधिक टिकाऊ और संवैधानिक रूप से मजबूत है, जिससे अमेरिका को व्यापार वार्ताओं में अपनी स्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी। यदि ट्रंप प्रशासन अपने ‘प्लान बी’ के तहत टैरिफ लागू करता है तो भारत के लिए भी इसके प्रभाव हो सकते हैं। विशेष रूप से वस्त्र, फार्मास्युटिकल्स, आइटी सेवाएं, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों में भारत से अमेरिका को निर्यात पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी निवेशक भारतीय बाजार में सतर्कता बरत सकते हैं, जिससे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव पड़ सकता है।सरकार का नहीं होता था दखल, ‘कांग्रेस’ के समय में मैंने की थी 3 सर्जिकल स्ट्राइक: रिटायर्ड मेजर जनरल का दावा
हालांकि, अभी तक भारत सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत को अपनी व्यापार रणनीति पर पुनर्विचार करने और संभावित टैरिफ के प्रभाव को कम करने के लिए वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए। इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि वैश्विक व्यापार नीतियों में कानूनी और राजनीतिक जटिलताएं बढ़ रही हैं, जिनका प्रभाव भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी पड़ सकता है।