विश्व में जन स्वास्थ्य पर आए विभिन्न संकटों के लिए यूएन एजेंसी की आलोचना होती आई है, जिनमें कोविड-19 महामारी का संकट भी शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय समिति ने पाया कि डब्लूएचओ द्वारा कोविड को पब्लिक हैल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) घोषित करने में महीनों का विलंब किया गया, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में जानमाल का भारी नुकसान हुआ। कोविड-19 को दुनिया में फैलने से रोकने के लिए यात्रा पर प्रतिबंध लगाने और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियम लागू करने में भी डब्लूएचओ विफल रहा।
दुनिया में तम्बाकू का उपयोग स्वास्थ्य का एक और संकट है, जो पिछले दो दशकों से हल नहीं हो पाया है। डब्लूएचओ के फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) को ड्राफ्ट करते हुए जिन लक्ष्यों की कल्पना की गई थी, डब्लूएचओ का दृष्टिकोण वो लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाया। विशेषज्ञों का तर्क है कि तम्बाकू नियंत्रण के डब्लूएचओ के दृष्टिकोण में नुकसान में कमी लाने वाला दृष्टिकोण शामिल नहीं किया गया।
पूर्व डब्लूएचओ डायरेक्टर रॉबर्ट बीगलहोल और रुथ बोनिता ने कहा कि विश्व में तम्बाकू की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए नुकसान में कमी लाने का दृष्टिकोण (हार्म रिडक्शन) जन स्वास्थ्य की एक सफल रणनीति है। यह एफसीटीसी की मुख्य रणनीति होनी चाहिए। तम्बाकू से होने वाले नुकसान में कमी लाने की रणनीति को डब्लूएचओ का समर्थन न होने के कारण दुनिया में धूम्रपान करने वाले 1.3 बिलियन लोग अपेक्षाकृत ज्यादा स्वस्थ तरीकों से वंचित रह जाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें जल्दी मौत का शिकार होने का जोखिम बढ़ जाता है। डब्लूएचओ के इस दृष्टिकोण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि कम नुकसान करने वाले विकल्पों को उसी नजर से देखा जाना चाहिए, जिस नजर से अन्य तम्बाकू उत्पादों को देखा जाता है। इसमें जोखिम-अनुपात के आधार पर दृष्टिकोण को नजरंदाज कर दिया गया है।