Explainer: AI पर ‘कब्जा’…डोनाल्ड ट्रंप के प्लान ने भारत के लिए खड़ी की बड़ी चुनौती, कैसे निपटेगा इंडिया?
Donald Trump on AI: अमेरिका में AI बुनियादी सुविधाओं पर 50,000 करोड़ डॉलर का निवेश का ऐलान किया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नई कंपनी बनाने का ऐलान किया है जिससे एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद बढ़ी है।
Donald Trump on AI: कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में आधुनिक विज्ञान ‘अलादीन के चिराग’ जैसी खूबियां विकसित कर रहा है। माना जा रहा है कि भविष्य में जो इस चिराग (AI) को अपने काबू में रखेगा, वही दुनिया पर राज करेगा। ऐसे समय जब AI के विकास में अमेरिका और चीन (China) दोनों एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, अमेरिका के नवनियुक्त राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने शपथ लेने के दूसरे दिन ही दिन AI के बुनियादी ढांचे पर 500 अरब (50,000 करोड़) डॉलर (करीब 43.21 लाख करोड़ रुपए) के निवेश की घोषणा कर दुनिया को बता दिया कि वह हर हाल में इस पर नियंत्रण चाहते हैं। इस घोषणा को एक्सपर्ट भारत के लिए रणनीतिक खतरे और अवसर दोनों रूपों में देख रहे हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा के अनुसार, स्टारगेट नामक एक नई कंपनी के माध्यम से एआइ बुनियादी ढांचे पर 50,000 करोड़ डॉलर खर्च किया जाएगा। इसमें ओरेकल, सॉफ्टबैंक और OpenAI के साथ साझेदारी की जाएगी। स्टारगेट अमरीका डेटा केंद्रों में तकनीकी कंपनियों के निवेश शामिल होंगे। इसके तहत कंप्यूटिंग शक्ति प्रदान करने वाले सर्वरों को स्थापित करने के लिए बड़ी-बडी इमारतें बनाई जाएंगी। ओरेकल, सॉफ्टबैंक और OpenAI ने इसके लिए धन उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। हालांकि, यह अन्य निवेशकों के लिए भी खुला होगा।
इसकी शुरुआत टेक्सास में 10 डेटा केंद्रों से की जाएगी। सॉफ्टबैंक के CEO ने कहा कि यह स्वर्णिम युग की शुरुआत है। हमारी कंपनी तुरंत 100 अरब डॉलर का निवेश करेगी, जिसका लक्ष्य अगले चार वर्षों में 500 अरब डॉलर करना है।
क्या है स्टारगेट?
ट्रम्प ने मंगलवार को ओरेकल के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी लैरी एलिसन, सॉफ्टबैंक के CEO मासायोशी सोन और ओपन AI के सीईओ सैम ऑल्टमैन के साथ स्टारगेट के बारे में घोषणा की। उन्होंने बताया कि स्टारगेट वैश्विक प्रतिभा और धन का एक विशाल समूह होगा। ट्रंप ने कहा, ‘इस नाम (स्टारगेट) को अपनी पुस्तकों में लिख लें, क्योंकि भविष्य में आप इसके बारे में बहुत कुछ सुनेंगे। यह नई अमरीकी कंपनी बहुत तेजी से एक लाख से अधिक नौकरियों का सृजन करेगी।’
भारत के AI ढांचे में तेजी करना होगा विकास
जोधपुर के MBM विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मिलिंद कुमार शर्मा ने AI क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई पर विस्तार से बात की है। उनके मुताबिक भविष्य में एआइ का इस्तेमाल हर क्षेत्र में बढेगा। रक्षा, स्पेस, एयरोस्पेस, सैटेलाइट हर जगहा। साइबर सिक्योरिटी, मौसम से लेकर और खुफिया जानकारी जुटाने तक एआइ के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ बड़े-बड़े सर्वर, उनके लिए कूलिंग सिस्टम की स्थापना के लिए बड़ी-बड़ी इमारतों की जरूरत होगी। स्टारगेट ऐसे AI एलगोरिदम तैयार करेगा, जिससे दुनिया को प्रभावित किया जा सके। अंतरराष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करनेेे से लेकर युद्ध जैसे हालात में एआइ का मजबूत आधार अमरीका के वर्चस्व को बनाए रखने के लिए जरूरी होगा। पहली नजर में इस पहल का उद्देश्य रणनीति ज्यादा प्रतीत होता है।
1- दुनिया पर क्या असर होगा?
AI के विकास में अमरीका ने प्रतिस्पर्धा को नया आयाम दे दिया है। जाहिर है उसका धुर विरोधी चीन भी इस होड़ में शामिल होगा। ऐसे में भारत भी पीछे नहीं रहेगा। अमरीका ने 50,000 करोड़ का फंड बनाकर अन्य विकासशील देशों के ऊपर दबाव बना दिया है। भविष्य में रणनीतिक टूल के रूप में एआइ का इस्तेमाल बढ़ेगा, जो गरीब देशोंं के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। दुनिया के ज्यादातर देश पहले से ही विकासक्रम में पीछे छूट गए हैं। आने वाले दिनों में डिजिटल डिवाइड और बढ़ेगा। ऐसे देशों की निर्भरता अमरीका और अन्य विकसित देशों पर बढ़ती जाएगी।
2- भारत पर कैसा असर पड़ेगा?
भारत अपने पड़ोस में दुश्मनों से घिरा हुआ है। चीन, पाकिस्तान तो पहले से शत्रु थे, अब बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल सहित कई देश खिलाफ हो गए हैं। ऐसे में अगर चीन AI के इंफ्रास्ट्रक्टर पर जोर लगाता है तो वह भारत के पड़ोसियों को प्रभाव में लेकर क्षेत्रीय राजनीतिक-सामरिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। अब भारत पर AI के बुनियादी ढांचे पर पहले से अधिक खर्च करने का दवाब बढ़ जाएगा। हालांकि AI प्रशिक्षित भारतीय युवाओं के लिए अमरीका में नौकरी के ज्यादा अवसर खुलेंगे। स्टारगेट से पैदा होने वाली एक लाख नई नौकरियों में भारतीय प्रतिभाएं अपना कौशल दिखा सकती हैं।
3- भारत को क्या करना चाहिए?
भारत को भी इस दिशा में निवेश बढ़ाना होगा। भारत सरकार को भी भारतीय उद्योगपतियों को साथ लेकर ऐसी पहल करनी चाहिए। सरकार ने हाल में ग्लोबल कैपेब्लिटी सेंटर (GCC) और गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक सिटी (गिफ्ट सिटी) के रूप में नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। AI बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए भी ऐसे ही कॉन्सेप्ट पर काम करने की जरूरत है। हमारी खूबी है कि अमेरिका के मुकाबले कम लागत में वैसी ही उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। अंतरिक्ष मिशनों और UID (आधार) जैसे प्रोजेक्ट में हमने वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता साबित भी की है। स्टारगेट का ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने के लिए हम क्वाड (QUAD) जैसे संगठन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
भारत के लिए रणनीतिक खतरा, क्षमता बढ़ाने का समय
इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक चांडक ने कहा कि यह अत्याधुनिक तकनीकों के विकास में सहभागिता बढ़ाने और अपनी घरेलू क्षमताओं को बढा़कर भारत की एआइ महत्त्वाकांक्षाओं को गति देने का अवसर है।
भारतीय पेशेवरों के लिए इस प्रोजेक्ट में योगदान करने और बेहतर एआइ टेक्नोलॉजी में अपनी विशेषज्ञता बढ़ाने के अवसर पैदा होंगे। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति बाइडन के समय बनाई गई ‘AI प्रसार/ चिप्स के नियंत्रण’ नीति में भारत को बाहर कर दिया गया था। लेकिन ट्रंप प्रशासन इसे बदल सकता है।
तकनीक का हथियारीकरण की तरफ
HCL के संस्थापक और नेशनल क्वांटम मिशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजय चौधरी ने कहा कि ये अमरीका के एआइ पर मजबूत नियंत्रण की मंशा को दर्शाता है। हम तकनीक के हथियारीकरण की ओर बढ़ रहे हैं। रणनीतिक स्वायत्तता के लिए हमारी खुद की एआइ नीति और डेटा पर नियंत्रण जरूरी है।
हमें डेटा सेंटर के लिए अपना खुद का घरेलू हार्डवेयर बनाना चाहिए क्योंकि हमारे डेटा को नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होने वाला है। सरकार और उद्योग को एआइ के लिए रणनीति बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। पुराने विचार अब मान्य नहीं है। इसे आपातकाल के रूप में माना जाना चाहिए।