2027 तक ताइवान पर कब्जा
हेगसेथ ने स्पष्ट किया कि चीन का खतरा सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि असल में मौजूद है और यह कभी भी सामने आ सकता है। उनका दावा है कि चीन 2027 तक ताइवान पर कब्जा करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश मिलकर चीन की इस आक्रामक नीति का मुकाबला करेंगे।
चीन केवल क्षेत्रीय ताकत नहीं
पेंटागन प्रमुख ने बताया कि चीन केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं है, बल्कि वह पूरी दुनिया पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है। उन्होंने कहा, “चीन हर दिन युद्ध की तैयारी कर रहा है। उसका मकसद ताइवान पर कब्जा करना है, और इसके लिए वह अपनी सेना को लगातार आधुनिक और ताकतवर बना रहा है।”
एशियाई देशों को चीन की बढ़ती सैन्य ताकत से सतर्क रहने की सलाह
हेगसेथ ने भारत सहित पूरे एशिया को आगाह किया कि वे चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को हल्के में न लें। उन्होंने सभी देशों से आग्रह किया कि वे अपने रक्षा बजट बढ़ाएं और अपनी सेनाओं को नवीनतम तकनीक से लैस करें। उन्होंने कहा, “अमेरिका जापान, फिलीपींस और भारत के साथ मिलकर अपनी सैन्य साझेदारी को और मजबूत कर रहा है ताकि चीन की चुनौतियों का सामना किया जा सके।” यह भी पढ़ें – कुछ जयचंदों ने मेरी पीठ में खंजर घोंपा…पार्टी-परिवार से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप ने तोड़ी चुप्पी ट्रंप सरकार की चीन विरोधी नीतियों का समर्थन
पेंटागन प्रमुख ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीन के खिलाफ कड़ी नीतियों की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि ट्रंप के शासनकाल में चीन के खिलाफ टैरिफ युद्ध शुरू किया गया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक पर उसकी पहुंच को सीमित करने की कोशिश की गई है।
चीन की साइबर गतिविधियां और दक्षिण चीन सागर पर दावे
हेगसेथ ने चीन की साइबर हमलों और पड़ोसी देशों को धमकाने की नीति को एक बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि चीन बार-बार साइबर हमला करता है और दक्षिण चीन सागर जैसे विवादित क्षेत्रों पर अपना दावा जताता रहता है। उन्होंने कहा, “यह क्षेत्र दुनिया के समुद्री व्यापार का लगभग 60% हिस्सा संभालता है। हाल के महीनों में चीन और फिलीपींस के बीच इस क्षेत्र में कई बार झड़पें भी हो चुकी हैं।”