USAID फंडिंग पर अमेरिका को जवाब दे बांग्लादेश, रिकॉर्ड में नहीं मिला पैसा, जानिए क्या बोले एक्सपर्ट्स
Donald Trump on Bangladesh: बांग्लादेश को 29 मिलियन डॉलर के मामले में एक अमेरिकी NGO का नाम सामने आया है। ट्रंप का दावा है कि ये फंडिंग इसी NGO को की गई है जिसमें सिर्फ 2 लोग काम करते हैं।
USAID Funding to Bangladesh: भारत के अलावा बांग्लादेश में अमेरिका की USAID फंडिंग को लेकर अब सवाल उठने शुरू हो गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump on USAID) ने बांग्लादेश में 29 मिलियन डॉलर फंडिंग पर पिछले दिनों एक बयान दिया था कि, अमेरिका ने जो पैसा बांग्लादेश को भेजा वो एक अज्ञात फर्म के पास पहुंच गया जो सिर्फ 2 लोगों वाली एक छोटी सी संस्था है। इस बयान के बाद बांग्लादेश में USAID की फंडिंग को लेकर अब विकास और शासन विशेषज्ञों ने मोहम्मद यूनुस सरकार को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि य़े मुद्दा सरकार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बांग्लादेश को इस बारे में अमेरिका को जवाब देना ही होगा। क्योंकि बांग्लादेश को रिकॉर्ड में कोई पैसा USAID से नहीं मिला है।
बांग्लादेश के अखबार द डेली स्टार ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट पेश की है। इसमें बताया गया है कि बांग्लादेश को 29 मिलियन डॉलर के मामले में एक अमेरिकी NGO का नाम सामने आया है जिसका नाम DI (डेमोक्रेसी इंटरनेशनल) है। इसे 2017 से 2024 तक बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य को सुधारने के लिए USAID और UK के DFID से फंड मिला है। लेकिन इस मामले को लेकर DI ने कोई भी बयान देने से मना कर दिया।
हालांकि इस NGO के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम कर चुके एक अधिकारी ने कहा है कि इस NGO में 40 से ज्यादा कर्मचारी हैं, तो 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग सिर्फ दो लोगों को कैसे जा सकती है। अधिकारी ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी शायद अमेरिका के लोगों के लिए थी, इसका बांग्लादेश से कोई संबंध नहीं है।
NGO को फंडिंग मिलने की हो जांच
NGO मामलों के ब्यूरो के कार्यवाहक महानिदेशक मोहम्मद अनवर हुसैन ने कहा कि DI के नाम पर कोई पैसा नहीं मिला है। ऐसे में इस बात की जांच करनी होगी कि बांग्लादेश के नाम पर जारी 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग इस NGO को कैसे गई और इसका इस्तेमाल कहां किया गया।
इस मुद्दे पर NGO की शीर्ष संस्था बांग्लादेश विकास एजेंसीज एसोसिएशन के निदेशक A.K.M. जशीमउद्दीन ने कहा कि ट्रम्प की टिप्पणी बांग्लादेश में NGO क्षेत्र को ही दोषी ठहरा रही है। ऐसे में लोग हमसे इस बारे में सवाल करेंगे जो ठीक नहीं है, खासकर तब, जब इस क्षेत्र का बांग्लादेश के विकास में बहुत बड़ा योगदान है।
अमेरिका से बात करे बांग्लादेश
जशीमउद्दीन ने कहा कि बांग्लादेश को अमेरिका से इस बारे में बात करनी चाहिए और उसको बताना चाहिए, USAID की भेजी गई फंडिंग कहां और किसे मिली है और इसका खर्च कैसे किया गया है। क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति की बात को स्वीकार कर लेना ही यूनुस सरकार के लिए गलत छवि गढ़ सकता है। ये पूरे बांग्लादेश के सम्मान का मुद्दा है।
रिपोर्ट में अमेरिका के पूर्व राजदूत हुमायूं कबीर ने कहा कि USAID फंड के एक-एक पैसे का हिसाब लिया जाता है। ऐसे में फंड जिस संस्था को जाता है उसे बेहद पारदर्शिता बरतनी होती है। इसके साथ ही उसकी जवाबदेही भी सुनिश्चित की जाती है। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति का ये दावा कि 29 मिलियन डॉलर का फंड किसी अज्ञात NGO को गया है जिसमें सिर्फ 2 कर्मचारी हैं, ये समझ से परे है।
एलन मस्क के DOGE ने रद्द कर दी थी फंडिंग
बता दें कि 16 फरवरी को टेक दिग्गज एलन मस्क की नेतृत्व वाली DOGE (अमेरिका का सरकारी दक्षता विभाग) ने भारत और बांग्लादेश समेत सभी देशों को जारी होने वाली फंडिंग रद्द कर दी थी। इसमें भारत के लिए 21 मिलियन डॉलर और बांग्लादेश में 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग की बात कही गई थी, तब से ही भारत और बांग्लादेश में बवाल मचा हुआ है। भारत में इस फंडिंग को लेकर विदेश मंत्रालय ने चिंता जताई है और इसकी जांच करने की बात कही है। हालांकि इस पर देश में बीजेपी-कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है