लांभा गांव निवासी सार्वजनिक ट्रस्ट पंजीकरण कार्यालय वस्त्रापुर के निरीक्षक ब्रिजेश परमार (35) ने 17 मई को गायकवाड़ हवेली में बाबूलाल शाह, मोहम्मद असगर पठान, निजामुद्दीन शेख, मो.बिलाल मो.हनीफ शेख, जीशान कादरी, रोहन कादरी और सद्दाम हुसैन कुरेशी के विरुद्ध ठगी, विश्वासघात, जालसाजी, फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन हड़पने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसमें बताया कि यह षडयंत्र व ठगी 5 दिसंबर 2016 से 22 फरवरी 2023 के दौरान की गई।
आरोपियों ने षडयंत्र रचते हुए जमालपुर स्थित त्रिकमजी मंदिर की जमीन को आर्थिक फायदे के लिए हड़पने के इरादे से फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसे बेचा और खरीदा है।
विष्णु भगवान का 700 साल पुराना मंदिर
एफआईआर के तहत 29 मई 1952 को जमालपुर स्थित त्रिकमजी मंदिर का बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट-1950 के तहत सार्वजनिक ट्रस्ट पंजीकरण कार्यालय में पंजीकरण हुआ है। इसमें किए गए दावे के तहत भगवान विष्णु (त्रिकमजी) का यह मंदिर 700 साल पुराना है। इसमें हनुमान, रणछोडराय, शिवलिंग, गणपति सहित छह प्रतिमाएं स्थापित थीं। 27 अप्रेल 1966 को चेरिटी कमिश्नर गुजरात ने चार ट्रस्टी -भोगीलाल त्रिकमलाल, महंत सियारामदास, कांतिलाल शाह, बाबूलाल रावल नामित किए। उसके बाद कोई ट्रस्टी नहीं बनाया गया, जिससे मंदिर की जमीन की मालिकी चेरिटी कमिश्नर की हो गई। 18 अक्टूबर 1999 को शिवरामदास वैष्णव (44) और महंत सियारामदास (98) ने यह जमीन सहल ऑनर्स एसोसिएट के प्रशासक बाबूलाल शाह को बेच दी। लेकिन नियमानुसार चेरिटी कमिश्नर से पूर्व मंजूरी नहीं ली। मामला कोर्ट पहुंचा जहां चेरिटी कमिश्नर की जीत हुई। बाबूलाल शाह ने निचली कोर्ट के आदेश को 2011 में हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसमें हाईकोर्ट ने यथास्थिति के निर्देश दिए हैं। आरोप है कि इस बीच सहल ऑनर्स एसोसिएट की ओर से पांच दिसंबर 2016 को फर्जी प्रस्ताव बताकर इसके प्रशासक मो.असगर पठान के अशक्त होने का बहाना बताते हुए निजामुद्दीन शेख को प्रशासक नियुक्त किया गया।
2023 में मो.असगर के पौत्र बिलाल हनीफ शेख ने जिला कलक्टर कार्यालय में इस जमीन का उद्देश्य परिवर्तित करने की अपील की। अधिकारी से स्थिति छिपाते हुए जमीन बिक्री की मंजूरी ले ली और फिर 22 फरवरी 2023 को इस जमीन को बिलाल शेख और उसके साथियों के नाम 2.36 करोड़ में बेचने का दस्तावेज कर दिया गया। यह जमीन बिलाल शेख के कब्जे में है और उस पर यह सिमरन ग्रुप से व्यवसाय करता है। चेरिटी कमिश्नर कार्यालय का दावा है कि दस्तावेज गलत है और नियमों की अनदेखी करके फर्जी दस्तावेजों को आधार बनाकर किया गया है। ठगी की गई है। हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।