अंग्रेजी हुकूमत ने क्यों लिया यह फैसला?
अंग्रेजी हुकूमत के इस फैसले से महाकुंभ में शामिल होने वाले से खलबली मच गई। दरअसल, अंग्रेजी हुकूमत का दावा था कि कुम्भ के दौरान प्रयागराज में बमबारी हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। इस विश्व युद्ध में जापान भी शामिल हो चुका था। ऐसे में अंग्रेजी हुकूमत को यह डर था कि कहीं जापान प्रयागराज में बमबारी न कर दे और इसलिए अंग्रेजी हुकूमत ने कुंभ के समय यह फरमान जारी किया था। बमबारी की बात अफवाह साबित हुई
प्रयागराज में बमबारी हो जाने के डर से ही तत्कालीन सरकार ने ट्रेनों से प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं पर रोक लगाई ताकी कुंभ में कम भीड़ हो सके। हालांकि, प्रयागराज में बमबारी नहीं हुई और यह बात अफवाह साबित हुई, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के इस फैसले से देश के हजारों श्रद्धालु कुंभ में संगम स्नान करने से वंचित रह गए।
1942 में चल रहा था भारत छोड़ो आंदोलन
आपको बता दें कि इस दौरान भारत छोड़ो आंदोलन भी चल रहा था। HT की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के इतिहासकारों का कहना है कि अंग्रेजों ने बमबारी के डर से नहीं, बल्कि भारत छोड़ो आंदोलन के डर से लोगों के आने पर रोक लगाई थी। अंग्रेजी सरकार नहीं चाहती थी कि कुम्भ में देश के कोने-कोने से लोग संगम स्नान करने आएं। इसकी आड़ में संगम किनारे लाखों हिन्दुस्तानियों का जमावड़ा उनके खिलाफ चल रहे आंदोलन को ताकतवर बना दे।