उन्होंने कहा कि यह पैसे की बर्बादी है। एक्सपर्ट का मानना है कि जब शहर की सफाई 15 करोड़ में हर साल हो सकती है, तो नगर निगम फिर 37.82 करोड़ रुपए क्यों खर्च करना चाहता है? हर साल 22.81 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होंगे। यह राशि विकास से लेकर अन्य काम पर निगम लगाए, तो शहर चमकेगा। यदि यह बजट सफाई पर लगाया गया, तो जनता दूसरे विकास कार्यों को तरस सकती है।
नगर निगम ने यह भेजा प्रस्ताव
नगर निगम ने डीएलबी निदेशक को एकीकृत सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की निविदा की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करने के लिए प्रस्ताव भेजा है। कैपिटल एक्सपेंडिचर के फण्ड की व्यवस्था के लिए स्वच्छ भारत मिशन निदेशालय ने अरबन चैलेंज फण्ड के अन्तर्गत मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स गवर्नमेंट ऑफ इंडिया को भिजवाया गया है। उसी के प्रथम भाग में कचरा संग्रहण की निविदा की जानी हैं। जिसके अन्तर्गत अनुमानित 200 टन प्रतिदिन कचरे का परिवहन, सडकों की सफाई, नाले-नालियों की सफाई, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण आदि कार्य किया जाएगा। निविदा निकाय स्तर पर की जानी हैं, जिसके ऑपरेशन एण्ड मेंटीनेंस का भुगतान नगर निगम की ओर से किया जाना है। इस निविदा की वार्षिक लागत लगभग 37.82 करोड़ रुपए है।
7 वर्ष की कुल लागत लगभग 264.71 करोड़ रुपए है। इस राशि की व्यवस्था के लिए नगर विकास न्यास से 40 लाख रुपए प्रति माह, रीको से 25 लाख का सहयोग लिया जाएगा। दूसरे चरण में कचरा निस्तारण पर 7.99 करोड़ खर्च होंगे। नगर निगम अलवर के सफाई के वार्षिक बजट सीमा से अधिक होने के कारण यह प्रकरण डीएलबी को भेजा गया है।
सफाई बजट का प्रस्ताव डीएलबी को भेजा गया है। अब जैसे आदेश वहां से मिलेंगे, उसका पालन किया जाएगा। इस प्रस्ताव से व्यवस्था बेहतर होगी। –जीतेंद्र नरूका, आयुक्त, नगर निगम नगर निगम अलवर का नया सफाई बजट काफी अधिक किए जाने की जानकारी मुझे मिली है। 272 करोड़ का बजट समूचे नगर निगम का होता है और इतनी रकम सफाई पर खर्च होगी तो दूसरे काम कैसे होंगे? इसके लिए सरकार को पत्र लिखूंगा, पूरी जानकारी लूंगा। यह मामला विधानसभा में भी उठाऊंगा। –टीकाराम जूली, नेता प्रतिपक्ष, राजस्थान विधानसभा