प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स नियम 2017 व 2018 को लागू किया गया है। इसके तहत जानवर पालने के लिए उसका रजिस्ट्रेशन जरूरी हो गया है। इस संबंध में जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने प्रदेश में चल रहे डॉग ब्रीडर्स और पेट शॉप्स का पंजीयन अनिवार्य किया है। नगर निगम को अधिकार दिए हैं कि वह पालतू जानवरों का रजिस्ट्रेशन करें और पंजीकरण न कराने पर कार्रवाई करें।
अधिकारी व नेता भी पाल रहे डॉग व बिल्लियां
अधिकारी व नेता भी डॉग व बिल्लियां पाल रहे हैं। शौक के तौर पर यह किया जा रहा है, लेकिन उनका भी रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया गया है। यदि नगर निगम इसको लेकर अभियान चलाए तो रजिस्ट्रेशन भी होगा और सावधानी भी बरती जा सकेगी।
रजिस्ट्रेशन के लिए करते हैं जागरूक
डॉग सेंटर संचालक राजू सिंह का कहना है कि शहर में आधा दर्जन से ज्यादा बड़े डॉग सेंटर चल रहे हैं। इनके पास हर माह करीब 3 हजार डॉग विभिन्न कारणों से आते हैं। हम भी सलाह देते हैं कि रजिस्ट्रेशन डॉग्स का करवाएं। रजिस्ट्रेशन से जिमेदारी पालने वालों की बढ़ जाती है। हमारे पास पालतू डॉग के रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कोई नहीं आया है। जीव जंतु कल्याण बोर्ड या पशुपालन विभाग में हो सकते हैं। –कमल मीणा, प्रभारी, पशु पकड़ गैंग, नगर निगम
करीब 13 लाख पालतू जानवर
प्रदेशभर में करीब 13 लाख पालतू जानवर हैं। इनका पंजीकरण स्थानीय निकाय यानी ग्राम पंचायत, नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगमों में है। इसके लिए लोगों को लाइसेंस दिया जाता है। अलवर में 3 हजार से ज्यादा पालतू डॉग्स हैं। बिल्लियां भी 500 से 600 के मध्य बताई जाती हैं। डॉग मालिकों को वैक्सीन लगाने से लेकर तमाम सावधानियां बरतने के लिए कहा गया है।