No toilet in school: शिक्षिकाओं के लिए स्कूल में टेंपररी टॉयलेट तो छात्राओं के लिए खुला मैदान, होना पड़ता है शर्मसार, जिम्मेदार बेफिक्र
No toilet in school: एक साल से सरगुजा जिले के इस स्कूल में नहीं है शौचालय की व्यवस्था, खुले में टॉयलेट जाने को विवश हैं छात्राएं, प्रशासन का इस मामले में बना हुआ है उदासीन रवैय्या
अंबिकापुर. स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाले स्कूल (No toilet in school) में ही जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हंै। जिले के ग्राम करौली स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शौचालय नहीं होने से विद्यार्थियों व शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विशेष परेशानी का सामना स्कूल में पढऩे वाली छात्राओं व महिला शिक्षकों को करना पड़ रहा है। हालांकि महिला शिक्षकों के लिए स्कूल में टेंपररी टॉयलेट है, जहां छात्राओं को जाने की मनाही है। स्कूल में शौचालय नहीं होने से छात्राएं खुले में टॉयलेट जाने को मजबूर हैं।
सरगुजा जिले के लुण्ड्रा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम करौली में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। यह विद्यालय पिछले 1 वर्ष से शौचालय विहीन है। जो शौचालय (No toilet in school) था उसे तोड़ दिया गया है।
यहां जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण स्वच्छ भारत मिशन की धज्ज्यिां उड़ रहीं हंै। मजबूरी में स्कूल में पढऩे वाले छात्र-छात्राएं खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। जो छात्राओं के लिए असुरक्षित है, लेकिन छात्राएं मजबूरी में आखिर क्या करें।
विद्यालय में कुल 145 छात्र-छात्राएं अध्यनरत है, जिसमें 75 छात्राएं हैं इन छात्राओं को टॉयलेट नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।छात्राओं ने कहा कि पिछले 1 साल से स्कूल में टॉयलेट (No toilet in school) ही नहीं है, पुराना टॉयलेट था जिसे तोड़ दिया गया। ऐसे में वह खुले में जाने को मजबूर हैं जहां हमेशा डर बना रहता है।
Girl students in field
सिर्फ महिला शिक्षकों के लिए अस्थाई व्यवस्था
छात्राओं ने बताया कि स्कूल के पीछे अस्थाई शौचालय की व्यवस्था (No toilet in school) बनाई गई है। इसका उपयोग सिर्फ महिला शिक्षिकाएं करतीं हैं, यहां छात्राओं को नहीं जाने दिया जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जिम्मेदार शिक्षक व शिक्षिकाएं छात्राओं की सुरक्षा व प्राइवेसी के प्रति कितना गंभीर हैं। जबकि प्राचार्य भी महिला हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही से छात्राओं को खतरा बना रहता है।
नया भवन बनाने के लिए पुराने शौचालय को तोड़ दिया गया है। स्कूल की प्राचार्य रामकुमारी का भी कहना है कि कि छात्राओं को काफी परेशानी है, इसके लिए वह पत्राचार भी कर रहीं हैं। इसके बावजूद भी जिम्मेदार इस गंभीर विषय को हल्के में ले रहे हैं।
Karauli school
No toilet in school: बनाई जाएगी शौचालय की व्यवस्था
इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ विनय अग्रवाल का कहना है कि मैं इसे तत्काल दिखवाता हूं और संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी लेने के लिए बोलता हूं। अगर शौचालय (No toilet in school) नहीं है तो व्यवस्था बनवाई जाएगी।
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